कुछ लोगों को दिन में ही सपने आने लगते हैं। ऐसे लोग भी किस्मत के बहुत धनी कहे जा सकते हैं। दरअसल सपनों पर किसी तरह की बंदिश नहीं होती और जो जितनी चाहे, उड़ान भर सकता है।
ऐसा ही एक सपना भारतीय जनता पार्टी के एक नेता तथा हरियाणा सरकार के मंत्री कमल गुप्ता को आया है जिसमें उन्हें साफ दिखा है कि अगले दो-तीन सालों में किसी भी वक्त पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर भारत का राज होगा।
सपना शुभ है। दिन में देखा गया है, इससे इसकी तासीर और भी स्थाई लगती है। लेकिन सपने देखने वाले को तब खुन्नस होती है, जब नींद खुलती है। क्योंकि नींद खुलने के बाद सपना नहीं, हकीकत से मुलाकात होती है। और हकीकत होता है थोड़ा कठोर, तनिक तीखा।
कमल गुप्ता को अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं को खुश करना है। खुश करने के लिए वे पाक अधिकृत कश्मीर पर मन ही मन शासन जरूर कर सकते हैं, मगर यह इतना आसान भी नहीं है।
हर पल भारत में घात लगाकर हमले की साजिश रचने वाला पड़ोसी इतनी आसानी से सबकुछ झेल जाएगा, यह कहना बड़ा मुश्किल है।
सपने के हकीकत पर भी एक नजर डालने की जरूरत है। पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस हिस्से पर कब्जा कर रखा है, वह अब परोक्ष रूप से कुछ हद तक चीन के कब्जे में भी चला गया है।
चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में जो सड़क बन रही है, वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर या पीओके से होकर ही गुजरती है। ऐसे में गुप्ताजी जैसे नेताओं को भले ही लगता है कि पाकिस्तान कंगाल हो गया है, वह अपने लोगों को भोजन देने में ही परेशान है, तो पीओके कैसे बचाएगा।
लेकिन ऐसा सोचना सही नहीं है। पाकिस्तान हर हाल में भारत से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार बैठा है। दूसरी बात यह है कि पीओके को दखल करने के लिए भारत-चीन संबंधों में बेहतरी जरूरी होगी।
पाकिस्तान अभी जिस दौर से गुजर रहा है, वहां किसकी सरकार बनेगी या पूरी तरह से सैन्य शासन ही एक बार फिर आएगा-यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता।
ऐसे में किसी भी देश के साथ यदि किसी का कोई सीमा-विवाद है तो उसे केवल बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है। सामरिक कार्रवाई से आज के युग में किसी समस्या का समाधान नहीं होने वाला। और कमल गुप्ता को शायद यह भूल गया होगा कि दुनिया में आजतक जितनी भी लड़ाइयां लड़ी गई हैं, उनके बाद समाधान केवल समझौते से ही हो सका है।
पीओके हमारा है, यह हर भारतीय को पता है। भारत सरकार ने बहुत पहले ही संसद में बाकायदा प्रस्ताव भी पारित कर लिया है कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है और भारत इसे हासिल करके रहेगा। लेकिन अफसोस की बात है कि हमने प्रस्ताव तो जरूर पारित किया, उस पर अमल करने का तरीका क्या होगा-इस पर शायद अपेक्षित होमवर्क नहीं हो सका है।
यह सही है कि मोदी सरकार से देश को काफी उम्मीदें हैं और नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की सीमा में दाखिल होकर सर्जिकल स्ट्राइक को जिस तरह अंजाम देने का साहस दिखाया-उसकी प्रशंसा होनी चाहिए। लेकिन पीओके जैसे संवेदनशील मुद्दों पर घरेलू राजनीति करने वाले कमल गुप्ता जैसे नेताओं को बचना चाहिए।
ऐसे मसलों का समाधान कूटनैतिक तरीके से कैसे करना है- इसकी जानकारी प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों को है। कृपया ऐसे सपने देखने से परहेज रखें या अगर दिख भी जाएँ तो बराय मेहरबानी, देशहित में जुबान बंद ही रखें।