कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता और वकील कौस्तव बागची के खिलाफ प्राथमिकी पर रोक लगा दी है। बुधवार को जस्टिस राजशेखर मंथा ने आदेश दिया कि मामले की सुनवाई अगले चार हफ्तों के लिए स्थगित कर दी गयी है।
पुलिस इस दौरान कौस्तव के खिलाफ कोई नई कार्रवाई नहीं कर सकती है। जज ने आधी रात में कांग्रेस नेता के घर जाकर उनसे पूछताछ करने और उन्हें गिरफ्तार करने के तरीके पर सवाल उठाया। इस मामले में न्यायमूर्ति मंथा ने कोलकाता पुलिस आयुक्त को संबंधित थाने से संपर्क कर अदालत में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
क्या थी घटना
गौरतलब है कि पुलिस ने 3 मार्च की देर रात कौस्तव के बैरकपुर स्थित घर में डराने-धमकाने और उपद्रव करने के आरोप में छापेमारी की थी। आरोप है कि बड़तला थाने की पुलिस ने उसे बिना किसी कारण के गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस और वामपंथी वकीलों ने भी कौस्तव का पक्ष लिया। इसके अलावा कांग्रेस और वाम दलों ने उनकी गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की थी। उन लोगों ने कहा था कि इस घटना को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
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पुलिस के मुताबिक कौस्तव को धमकी देने और हंगामा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 4 मार्च को बैंकशाल कोर्ट ने उन्हें 1 हजार रुपये के निजी बांड पर जमानत दे दी थी
।कांग्रेस नेता की जमानत के लिए वकील विकास रंजन भट्टाचार्य सहित अन्य वकीलों ने गुहार लगाई थी। उन्होंने तुरंत मांग की कि कौस्तभ को निजी मुचलके पर जमानत दी जाए।
वजह पर एक नजर
स्मरण रहे कि 2 मार्च को मुर्शिदाबाद में सागरदिघी उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा कि वह अधीर की बेटी की आत्महत्या और उनके ड्राइवर की मौत के बारे में बहुत कुछ जानती हैं। अगर वह अपना मुंह खोलती हैं तो अच्छा नहीं होगा। इसका जवाब देते हुए कौस्तव ने 3 मार्च को काउंटर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। वहां, उन्होंने कथित तौर पर तृणमूल के पूर्व विधायक और राज्य के पूर्व नौकरशाह दीपक घोष की एक किताब का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पर ‘व्यक्तिगत हमला’ किया था।