भर्ती घोटालाः HC सख्त, अवैध शिक्षकों को बर्खास्त नहीं तो आयोग को बंद कर दिया जाए!
मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को फिर होगी
कोलकाता: शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने गुरुवार को सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर अनुचित तरीकों से नियुक्त शिक्षकों को बर्खास्त नहीं किया जा सकता, तो बेहतर होगा कि पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को ही समाप्त कर दिया जाए।
न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु ने उसी अदालत के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के पहले के आदेश की समीक्षा करने के लिए डब्ल्यूबीएसएससी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
इसमें अवैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवाओं को तत्काल समाप्त करने का आदेश दिया गया था।
आयोग ने तर्क दिया कि विचाराधीन शिक्षक तीन साल से अधिक समय से सेवा में हैं और उनके खिलाफ अब तक अपराध की कोई शिकायत दर्ज नहीं है।
इस पर न्यायमूर्ति बसु ने आयोग से कहा कि अवैध नियुक्तियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि अगर वे शिक्षक के रूप में बने रहते हैं, तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा। वे शिक्षक के रूप में नहीं रह सकते। उन्हें वैकल्पिक नियुक्तियां प्रदान की जा सकती हैं।
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हालांकि आयोग के वकील सुतनु पात्रा ने अदालत को सूचित किया कि चूंकि इस मामले में डब्ल्यूबीएसएससी और राज्य सरकार के बीच कोई संबंध नहीं है, इसलिए इन शिक्षकों को किसी अन्य विभाग में नियुक्त करना संभव नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को फिर होगी।
इससे पहले 29 सितंबर को जस्टिस बसु ने जस्टिस गंगोपाध्याय के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा था कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ जस्टिस गंगोपाध्याय की लड़ाई का हिस्सा बनना चाहता हूं।
आने वाले दिनों में छात्र अपने शिक्षकों की योग्यता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाएंगे। लेकिन न्याय व्यवस्था समाज का कचरा साफ करने के लिए संकल्पबद्ध है।
इससे पहले बुधवार को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक एसआइटी के पुनर्गठन का आदेश दिया था।