झारखंड हाई कोर्ट में भूतपूर्व दो जस्टिस की पत्नियों को सुविधा दिलाने के मामले की आंशिक सुनवाई

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रांची : झारखंड हाई कोर्ट में दो भूतपूर्व जस्टिस की पत्नियों को झारखंड सरकार से मिलने वाली सुविधा दिलाने के मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान की आंशिक सुनवाई मंगलवार को हुई। मामले में राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया। हालांकि, राज्य सरकार के अधिवक्ता कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं हो सके, जिसे देखते हुए कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी निर्धारित की गई है। हाई कोर्ट की ओर से अधिवक्ता अनूप कुमार मेहता ने पैरवी की। अधिवक्ता अनूप कुमार मेहता के मुताबिक, पैराग्राफ सात में राज्य सरकार की ओर से दायर शपथ पत्र में बताया गया है कि दो भूतपूर्व जस्टिस की पत्नियों को सरकारी सुविधा दिलाने मामले में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सरकार इस दिशा में काम कर रही है। हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पिछले सुनवाई में राज्य सरकार से जवाब मांगा था।

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हाई कोर्ट के भूतपूर्व जस्टिस प्रदीप कुमार एवं प्रशांत कुमार की पत्नियों ने हाई कोर्ट को लिखे गए पत्र को एक्टिंग चीफ जस्टिस एस. चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान के रूप में लेते हुए सुनवाई शुरू किया है। पत्र में भूतपूर्व जस्टिस प्रदीप कुमार की पत्नी मीता कुमार तथा प्रशांत कुमार की पत्नी अलका श्रीवास्तव की ओर से झारखंड सरकार के संकल्प संख्या 9950 दिनांक 20 नवंबर, 2015 में मिलने वाली सुविधा दिलाने का आग्रह किया गया है। मामले में एक्टिंग चीफ जस्टिस एस. चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव एल. खियांग्ते, कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, वित्त सचिव अजय कुमार सिंह एवं हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रतिवादी बनाया है।