स्वर्ग यात्रा गुस्ताख की

रिसड़ा फेरीघाट के श्मशान में उनका अंतिम संस्कार हुआ

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हुगली : सर्वप्रिय मशहूर कवि रघुनाथ प्रसाद ‘गुस्ताख’ (86) ने कल श्रीरामपुर के वाल्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे कुछ दिन से बीमार चल रहे थे। रिसड़ा के फेरीघाट के श्मशान में उनका अंतिम संस्कार हुआ। स्थानीय संस्थाओं और कवियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

कवि गुस्ताख हिंदी, उर्दू और भोजपुरी में अपनी कविताएं रचते थे। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल स्थापित मंचों पर अपनी कविताएं सुनाते रहे थे। मशहूर कवि शम्भुनाथ सिंह ने बिहार के बक्सर के कवि सम्मेलन में उन्हें हिंदी का हाथी, उर्दू का ऊंट औऱ भोजपुरी का भैंसा संबोधन के साथ मंच पर बुलाया था। उनकी रचना बांस का व्यापारी लोकप्रिय हुई। यद्यपि वे अपने को (हास्य-व्यंग्य) का रचनाकार मानते थे लेकिन उनकी गंभीर रचनाओं की भी लंबी फेहरिस्त है। गुस्ताख जी की कविताएं लोक गायकों द्वारा व कव्वाली में भी गाए जाते रहे हैं। साहित्यिक समाज में उर्दू वाले और हिंदी वाले उन्हें अपना कवि मानते रहे। उनकी रचना ‘फूल गूलर के’ प्रकाशनाधीन है। इस पुस्तक के प्राक्कथन में उनका एक मशविरा है।

दिल के पिंजरे में न उल्लू गम का पालो दोस्तों,

खामखा चेहरे पे मत बारह बजा लो दोस्तों।

आंख को दमकल बनाकर भूत चलाओ रात दिन,

जिदंगी में कुछ घड़ी हंसा लो दोस्तों।।