पर्याप्त केंद्रीय बल नहीं मिलने पर पड़ोसी राज्यों से मांगी जाएगी मदद: राजीव सिन्हा

राज्य चुनाव आयुक्त ने फिर की बैठक

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कोलकाता : राज्य चुनाव आयोग ने अभी तक पंचायत चुनावों में केंद्रीय बलों के इस्तेमाल पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। मतदान से छह दिन पहले सुरक्षा को देखते हुए राज्य चुनाव आयोग ने दुबारा बैठक की। राज्य चुनाव आयुक्त ने रविवार सुबह राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी, राज्य पुलिस डीजी और एडीजी के साथ बैठक की। इस बैठक में केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस का उपयोग कैसे किया जाएगा, इस पर चर्चा की गई है। आयोग के सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में मूल रूप से इस बात पर चर्चा हुई कि पुलिस का इस्तेमाल कहां किया जाएगा।

इसी हफ्ते चुनाव है। उससे पहले फोर्स आएगी या नहीं, इस पर न तो आयोग और न ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ फाइनल कहा है। हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील के सवालों से कई लोगों का अनुमान है कि बाकी 485 कंपनियां शायद फोर्स का भुगतान नहीं कर पाएंगी। 337 पंचायत चुनाव कंपनियों के माध्यम से कराए जाएं।

इसका अंदाजा आयोग को भी है। चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने कहा कि बकाया फोर्स के लिए केंद्र को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। इसलिए आयोग ने राज्य के साथ पुलिस को विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने पर चर्चा शुरू कर दी है।

आयोग के अनुसार, पंचायत चुनाव में 61,636 मतदान केंद्रों के लिए लगभग 130,000 सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता है। अब तक केंद्रीय बलों की संख्या 37 हजार तक पहुंच गई है। मतदान के लिए करीब 1 लाख अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है। राज्य के पास इतनी संख्या में फोर्स नहीं है। ऐसे में मतदान से कुछ दिन पहले आयोग सुरक्षा को लेकर चिंतित है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक रविवार की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि कहां और कितनी पुलिस का इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय बलों की कमी को पूरा करने के लिए पड़ोसी राज्यों झारखंड और बिहार से भी पुलिस लाने की योजना है। एक अन्य सूत्र के मुताबिक, नवान्न ने इस पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हर बूथ पर केंद्रीय बल मौजूद रहेंगे या नहीं, इस पर आयोग की ओर से स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं मिला है।

हालांकि इस बारे में अंतिम तौर पर कुछ भी पता नहीं है, लेकिन आयोग की ओर से इस पर दो तरह की राय है। सूत्रों के मुताबिक, योजना इस अनुमान के साथ शुरू हुई कि बाकी केंद्रीय बल नहीं आएंगे। यदि नहीं, तो बूथ सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की होगी।

केंद्रीय बलों का उपयोग क्षेत्र में गश्त, उपद्रव क्षेत्रों की निगरानी सहित कानून प्रवर्तन के लिए किया जाएगा। एक अन्य सूत्र के मुताबिक, अगर बाकी फोर्स नहीं आएगी तो हर बूथ पर केंद्रीय बल नहीं दिया जा सकता, यह पानी की तरह साफ है। हालांकि, आयोग के मन में संवेदनशील या अति संवेदनशील बूथों पर केंद्रीय बल के जवानों के इस्तेमाल का मुद्दा है।