मांडर एकलव्य स्कूल मामले में केंद्र और राज्य के जवाब पर झारखंड हाईकोर्ट नाराज

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रांची : झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को मांडर के चान्हो में बनने वाले एकलव्य स्कूल के लिए चयनित स्थान को दूसरी जगह बदलने के खिलाफ गोपाल भगत की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने नाराजगी जताई। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार पर कोर्ट द्वारा पिछली सुनवाई में लगाए गए 25-25 हजार रुपये जुर्माना को हटाने के उनके आग्रह को कोर्ट ने नहीं माना और जुर्माना राशि को पूर्व सैनिक विधवा कल्याण फंड में जमा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मौखिक कहा कि किसकी इजाजत से एकलव्य विद्यालय का शिलान्यास स्थल को बदलकर नई जगह पर स्कूल का निर्माण का निर्णय लिया गया। झारखंड में कानून का राज चलेगा या उपद्रवियों का राज चलेगा। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के शपथ पत्र पर कहा कि इसमें कहां साबित हो रहा है कि स्कूल का जगह बदलने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को सूचित किया था।

स्कूल कंस्ट्रक्शन कर रही कंपनी दूसरी जगह स्कूल भवन बना रही है, क्या उसे अधिकार है कि वह जगह बदल सके। पूर्व में पुराने स्थल पर जहां स्कूल बन रहा था वहां बाउंड्री वॉल तोड़ा गया, उसका खर्च कौन उठाएगा। यदि केंद्र सरकार इस खर्च को वहन नहीं कर रही है तो राज्य सरकार किसके पैसे से उसका भुगतान करेगी, यह पब्लिक का पैसा है इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। डीपीआर बनाने के बाद केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के द्वारा वहां शिलान्यास किया गया था। राज्य सरकार ने उसके लिए जगह चिन्हित कर जमीन दी थी। इसके बाद नई जगह पर एकलव्य स्कूल बनाने का निर्णय क्यों लिया गया। राज्य सरकार कहती है कि उसने स्कूल के जगह को बदलने के संबंध में केंद्र सरकार को सूचित किया था। इस पर कोर्ट ने मौखिक कहा कि क्या उपद्रवियों के डर से केंद्र व राज्य सरकार डर गई है, जिस कारण स्कूल की जगह बदलने का निर्णय लिया गया।

कोर्ट ने मामले में केंद्र व राज्य सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ता को अपना प्रति उत्तर देने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से मौखिक कहा कि सरकार को रूल ऑफ लॉ पर संवेदनशील होना चाहिए। कानून तोड़ने की इजाजत किसी को नहीं दी जानी चाहिए। अभी तक इस मामले में सभी लोगों की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है, पूरा चार्जशीट भी दाखिल नहीं हुआ है। क्या राज्य सरकार विचार कर रही है कि नई जगह पर एकलव्य विद्यालय निर्माण कार्य हो जाने के बाद पूरा चार्जशीट दाखिल किया जाए? इससे पूर्व सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि नौ दिसंबर, 2022 को हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए शिलान्यास किए जाने वाले स्थान पर एकलव्य विद्यालय बनाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आदेश में फेरबदल करने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि मांडर में एकलव्य विद्यालय के लिए जो सबसे पहले जगह चयनित हुआ है उसी जगह पर स्कूल बनाया जाए। मांडर जिला के चान्हो में एकलव्य स्कूल बनाने के लिए राज्य सरकार ने 52 एकड़ जमीन दी थी।

 

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