रांची : झारखंड हाई कोर्ट में चाईबासा में चारा घोटाला के दोषी धनंजय शर्मा की सिविल रिव्यू (पुनर्विचार) याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की बेंच ने की।
इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि चारा घोटाला मामले में उनके याचिकाकर्ता को दोषी करार दिया गया था, लेकिन वर्ष 2002 में ही वे रिटायर हो चुके थे। ऐसे में बिहार पेंशन रूल के प्रावधान के मुताबिक अंतिम आदेश पारित नहीं किये जाने की परिस्थिति में उनकी पेंशन रोकना अनुचित है। अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि एलपीए में पारित आदेश में कहा गया है कि सरकार ने उनके खिलाफ नियम 139 के तहत अंतिम निर्णय लिया गया था। ऐसी परिस्थिति में एलपीए में पारित आदेश पर पुनर्विचार की जरूरत है। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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चाईबासा में हुए मनरेगा घोटाला की जांच की मांग को लेकर याचिकाकर्ता ने वर्ष 2013 में जनहित याचिका दाखिल की थी, बाद में कोर्ट ने इस मामले को निष्पादित कर दिया था। इसके बाद में याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2021 में फिर से जनहित याचिका दाखिल कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि वित्तीय वर्ष 2008-9, 2009-10, 2010-11 में चाईबासा में करीब 28 करोड़ रुपए का मनरेगा घोटाला हुआ है। इसे लेकर चाईबासा में पुलिस ने 14 एफआईआर दर्ज की थी। बाद में एसीबी ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। चाईबासा में उक्त तीन वित्तीय वर्षों में मनरेगा कार्यों में अग्रिम राशि का भुगतान तो कर दिया गया था, लेकिन कोई काम धरातल पर नहीं हुआ था। उस समय चाईबासा के डीसी के. श्रीनिवासन थे।