कोलकाता : राजधानी एक्सप्रेस अपहरण कांड में पुलिस आतंक विरोधी जन समिति के नेता छत्रधर महतो को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। बता दें कि छत्रधर को एनआईए ने गिरफ्तार किया था। वहीं कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पंचायत चुनाव परिणाम घोषित होने के दिन छत्रधर को सशर्त जमानत दे दी। यह खबर निस्संदेह महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार मंगलवार को छत्रधर की जमानत मामले की सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस देवांशु बसाक की खंडपीठ में हुई। न्यायमूर्ति देवांशु बसाक की खंडपीठ ने जमानत देते हुए संदेह व्यक्त किया कि क्या मुकदमा खत्म हो जायेगा। कोर्ट ने कहा कि जमानत मिलने पर भी छत्रधर मिदनापुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा जिलों में प्रवेश नहीं कर सकते। इसके अलावा छत्रधर को हफ्ते में एक बार जांच अधिकारी के सामने पेश होना होगा। कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिला जज को इस मुकदमे को जल्द खत्म करने की पहल करनी होगी।
2009 में राजधानी एक्सप्रेस अपहरण के 11 साल बाद 2020 में एनआईए ने इस मामले की जांच अपने हाथ में लिया। एनआईए ने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस गिरफ्तार किए गए कई लोगों को मुकदमे के लिए अदालत में लाने में सहयोग नहीं कर रही है। राजधानी एक्सप्रेस अपहरण कांड में कोर्ट को अभी तक आरोप पत्र जारी नहीं किया गया है। ऐसे में कोर्ट ने छत्रधर को जमानत देने का फैसला किया।
जानकारी के अनुसार वामपंथी काल के अंत के आंदोलन में, जंगलमहल के बड़े क्षेत्र माओवादी गतिविधियों से गरमाया हुआ थ। इसी समय सार्वजनिक समिति के नेता छत्रधर का नाम सुर्खियों में आया। छत्रधर ने वाममोर्चा सरकार के खिलाफ मार्च निकाला। छत्रधर का नाम ज्ञानेश्वरी ट्रेन हादसे में भी शामिल है। लंबे समय से राज्य पुलिस और संयुक्त बल उसे गिरफ्तार करने के लिए जंगलमहल के इलाके की खाक छान रहे थे।
इसके बाद पुलिस ने सितंबर 2009 में छत्रधर को लालगढ़ से गिरफ्तार किया। राजधानी एक्सप्रेस अपहरण, सीपीएम नेता प्रबीर महतो की हत्या समेत कई मामलों में नाम दर्ज किया गया था। पुलिस ने उनके खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया। 12 साल तक जेल में रहने के बाद 2 फरवरी, 2020 को उन्हें रिहा कर दिया गया। जेल से छूटने के बाद छत्रधर फिर से तृणमूल में शामिल हो गये। जंगलमहल में खोई जमीन वापस पाने के लिए तृणमूल ने उन्हें राज्य सचिव बनाया। एनआईए ने उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया था।