अवध प्रांत में हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल , हसनपुर स्टेट में उड़ता है गुलाल

पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा त्रिलोकचंद के समय से मनाई जा रही होली

185

 

सुल्तानपुर । मुख्यालय से 8 किमी दूर हसनपुर स्टेट है। यहां पृथ्वीराज चौहान के वंशज ने भले ही मुस्लिम धर्म अपना रखा है लेकिन आज भी होली का गुलाल उनके पुरातन महल से उड़ता है। गंगा जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल यह अबीर और गुलाल की होली अवध की आज भी शान बना हुआ है। मुस्लिम घराने हिंदुओं के लिए गुजिया बनाते हैं और अबीर गुलाल तैयार करते हैं।

बताते चलें कि हसनपुर रिसायत वही रियासत है जो अंग्रेजों से लोहा लेने में और भारत को आजादी दिलाने में अग्रिम पंक्ति पर लड़ाई के मैदान में खड़ी थी। पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा त्रिलोकचंद के समय में इस परिवार ने मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया था। इसके बाद कई राजा हुए लेकिन इन्होंने हिंदुओं के अबीर-गुलाल से नाता जोड़ कर रखा। वर्तमान राजा कहे जाने वाले मसूद अली खान पुत्र रजा अली खान 50 साल से इस गंगा-जमुनी तहजीब को कायम किए हुए हैं।

 

आज भी बड़े नांद में जो सीमेंट का बना हुआ है रंग घोला जाता है। राजा मसूद अली खान हिंदुओं पर रंग डालते हैं, अबीर लगाते हैं और उनके साथ होली का त्यौहार मनाते हैं। उन्हीं के घर से पकवान बनते हैं। जो हिंदू टोली और मुस्लिम टोली के बीच गीत-संगीत के कार्यक्रम के साथ रंग बरसे होली का त्यौहार चलता रहता है। अवध क्षेत्र की पहचान आज भी बना हुआ है।

जहां से गंगा जमुनी तहजीब निकलकर हिंदू और मुस्लिम परिवार के हर घरों तक पहुंचती है और उन्हें सामाजिक समरसता का संदेश देती है। राजा हसनपुर मसूद अली खान बताते हैं कि हसनपुर रियासत से होली हम लोग मिलजुलकर मनाते रहे हैं। यह अवध की शान है और हमारी पहचान है। हमारे यहां होली की शुरुआत हवन-पूजन से होती है। हम वहां जाते हैं और वहां से जुलूस उठकर पूरे क्षेत्र में भ्रमण करता है।

हिंदू और मुस्लिम बस्तियों में भी जाता है। होली की शुरुआत हिरण्यकश्यप के कार्यकाल से मानी जाती है।

जहां पिता-पुत्र में झगड़ा हुआ था और बड़ी बेटी होलिका ने प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया था तभी से होली मनाया जाता है।