रामपुर : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कल दो विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजें आए। इसमें दो सीट सबसे महत्वपूर्ण था। एक तो मैनपुरी सीट थी जो जिसपर पिछले कई सालों से एकक्षत्र मुलायम परिवार का राज रहा था तो दूसरा था मुलायम सिंह (Mulyam Singh Yadav) के सबसे करीबियों में से एक आजम खान (Azam Khan) का गढ़ रामपुर।
जहां मैनपुरी सीट उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulyam Singh Yadav) के देहांत के बाद खाली हुई थी तो वहीं रामपुर सीट आजम खान के सजायाफ्ता होने के बाद खाली हुई थी। एक तरफ मैनपुरी सीट पर डिंपल यादव सपा की तरफ से ताल ठोक रहीं थी तो दूसरी तरफ रामपुर विधानसभा क्षेत्र से आजम खान के बेहद करीबी आसिम रजा को टिकट मिला था।
मैनपुरी सीट पर सपा ने बहुत आराम से जीत ली तो दूसरी तरफ आजम खान का किला बीजेपी ने ढाह दिया। इसी के साथ रामपुर को पहली बार हिंदू विधायक भी मिला है।
रामपुर सीट पर पर पहली बार हिंदू विधायक
रामपुर मुस्लिम बहुल सीट है इसी के साथ मुस्लिम बहुल रामपुर विधानसभा सीट पर पहली बार बीजेपी ने कमल खिलाया और पहली बार हिंदू समुदाय की विधायक भी बना दिया। गौरतलब है कि रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 131116 वोट पड़े। इसमें बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना को 81371 वोट मिले हैं जबकि सपा उम्मीदवार आसिम रजा को 47271 वोट मिले हैं। इस तरह से आकाश सक्सेना 34136 वोटों ने जीत हासिल करने में कामयाब रहे।
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आजम खान की विरासत समाप्त करने की कोशिश
इसके पहले रामपुर सीट पर लोकसभा के उपचुनाव भी हुए थे जहां पर बीजेपी ने ही जीत हासिल की थी। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने ही रामपुर सीट पर बाजी मारी है। एक तरफ से आजम खान की पुरी विरासत को बीजेपी ने समाप्त कर दिया है। आजम खान फिलहाल सजाय़ाफ्ता है। उनपर कई तरह के आरोप लगा कर जेल में डाल दिया गया है।
आजम खान ने दरकाया था नवाब परिवार का किला
ऐसा नहीं है कि रामपुर सीट हमेशा से आजम खान की विरासत रही है। इसके पहले रामपुर में नवाब परिवार की तूती बोलती थी। हालात कितने भी मुश्किल हो नवाब परिवार अपने राजनीतिक विरासत को बचाने में माहिर था। लेकिन जब आजम खान का उदय हुआ तो नवाब परिवार और उनकी विरासत पूरी तरह से तहस नहस हो गई। इसके बाद रामपुर आजम खान का गढ़ बन गया।
पिछले 45 सालों से जीत रहा था आजम परिवार
आजम खान पिछले 45 सालों से रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ते आ रहे थे। दस बार आजम खुद विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी तंजीन फातिमा उपचुनाव में जीती थीं। रामपुर उपचुनाव में इस बार भले आजम खां खुद चुनाव नहीं लड़ रहे थे, लेकिन अपने सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर आसिम रजा को पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा रहे थे।