कोलकाता: अगर आप मुहर्रम के दौरान ढोल बजाकर जुलूस निकालना चाहते हैं तो आपको पुलिस इजाजत की जरूरत होगी। कोलकाता पुलिस को इस संबंध में तुरंत सार्वजनिक सूचना या परिपत्र जारी करना चाहिए। कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने गुरुवार को एक जनहित मामले में ऐसा आदेश दिया। ढोल बजाने का समय भी तय करने का आदेश दिया गया है। इस मामले के शिकायतकर्ता सगुप्ता सुलेमान ने दावा किया कि उनके इलाके में मुहर्रम के दौरान देर रात तक ढोल बजाए जाते हैं। उनकी शिकायत पर पुलिस को कोई फायदा नहीं हुआ।
उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उससे अदालत का आदेश लाने के लिए कहा। अगले शनिवार को मुहर्रम मनाया जायेगा। उससे पहले एक सार्वजनिक सूचना का आदेश दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य ने आदेश दिया कि जो भी क्लब या समूह ड्रम बजाकर मुहर्रम मनाना चाहता है, उसे अनुमति लेनी होगी। पुलिस को बताना चाहिए कि ढोल कहां बजेगा और कितनी देर बजेगा।
चीफ जस्टिस ने आदेश दिया है कि ढोल बजाने का समय सुबह 2 घंटे और दोपहर को 2 घंटे का समय तय किया जाए। उनके निर्देश के मुताबिक, सुबह 8 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद ढोल नहीं बजाना चाहिए।
चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी धर्म शांति भंग कर प्रार्थना करने की बात नहीं कहता। शीर्ष अदालत का हवाला देते हुए उन्होंने आगे कहा कि किसी भी मौलवी ने उपदेश के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के बारे में बात नहीं की है। पुलिस के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी सार्वजनिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ध्वनि प्रदूषण के स्तर को सीमित करेगा।