खड़गे के पैमाने पर कितने खरे उतरेंगे झारखंड के कांग्रेसी

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रांची (विशेष संवाददाता) : 2019 से पहले कोई चुनाव नहीं हारने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अब झारखंडी कांग्रेसियों को कितना रिझा पायेंगे यह एक अहम सवाल है क्योंकि झारखंड में महागठबंधन की सरकार है और प्रदेश में कांग्रेस गुटबाजी के कारण बिखरा हुआ है।

एक खेमा को राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम चलाते हैं तो दूसरा राज्य के वित मंत्री रामेश्वर उरांव। इस बीच कांग्रेस के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी अपना सिक्का कभी- कभी उछालते रहते हैं। एक खेमा और है, इसमें ज्यादातर विधायक हैं जो येन केन बीजेपी में जाने की सूचना भीतरी तौर पर देकर प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी हिलाते दिखते हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नाटक से आते हैं जो अपने प्रदेश में गृहमंत्री रहने के अलावा कई बार विधायक और सांसद भी रहे हैं। इसके अलावा भारत सरकार में श्रम और रेल मंत्रालय भी संभाला है। श्री खड़गे के बारे में बताया जाता है कि वह कांग्रेस के थिंक टैंक में से एक हैं। तभी तो कई राज्यों में आई समस्याओं को वह चुटकी में सुलझा लेते हैं। अब सवाल उठता है इतने अनुभवी श्री खड़गे के सामने कितना खरा उतरेगी झारखंड कांग्रेस ?

झारखंड में कुल 81 विधायक हैं, जिसमें कांग्रेस के कुल 18 हैं। इसमें पार्टी ने बन्ना गुप्ता, रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम और बादल पत्रलेख को मंत्री बनाया है। बाकि के विधायकों को पार्टी ने बोर्ड निगम का आश्वासन दिया था। यह सूत्र कहते हैं। मंत्री के बाद शेष बचे विधायकों की अपने ही मंत्रियों के बारे में बयानबाजी अखबारों की सुर्खियां बनती है।

राज्य में हेमंत सरकार बनने के बाद रोज कांग्रेसी विधायकों का टूटने और बीजेपी में मिलने का झूठा हल्ला होते रहा है। इसी कड़ी में राज्य के तीन कांग्रेसी विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप, विलसन कोंगारी को पश्चिम बंगाल पुलिस ने पचास लाख रुपये के साथ कोलकाता से गिरफ्तार किया था।

गिरफ्तार विधायक दावा करते रहे है कि वह पैसा लेकर समान खरीदने गये थे लेकिन इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती हैं मैंने झारखंड की हेमंत सरकार बचाई है। कैसे उक्त तीनों विधायक अभी जेल से बाहर है और जनता के बीच अपनी सफाई देते रहे हैं।

विधायक इरफान अंसारी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के समर्थन में बयान तो दे रहे हैं लेकिन श्री खड़गे का कहना कितना मानेंगे यह एक सवाल है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर का प्रभाव विधायकों पर कितना स्थापित करेंगे यह भी एक सवाल है।

इसके अलावा पूर्व के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, प्रदीप बालमुचु,  डॉ अजय कुमार आदि सरीखे नेंता जो पार्टी छोड़कर बीजेपी या अन्य चले गये थे वे पुनः कांग्रेस में आ गए हैं। अब वे फिर अपनी पुरानी रुतबा हासिल करना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें कैसे संभाला जाय यह एक अहम सवाल है। पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रभारी आरसीपी सिंह अब बीजेपी में हैं। लेकिन सूत्र कहते हैं कि आज भी कांग्रेस में उनकी लॉबी जिन्दा है जो झारखंड की पल-पल की खबरे देते रहती है।

झारखंड में कांग्रेस का एक बड़ा बोट बैंक है जो एक खास समुदाय से आते है और किसी का जीत द्वार तय करते है। ऐसे में कांग्रेस कभी भी नहीं चाहेगी की उसकी पार्टी में मनभेद रहे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने अन्य कई चुनौतियां है जिसमें हिमाचल और गुजरात विधान सभा चुनाव भी है। गुजरात के सौराष्ट्र में कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही है जहां आप पार्टी प्रमुख केजरीवाल उसकी हवा निकलने में व्यस्त हैं।

बहरहाल झारखंड प्रदेश कांग्रेस में पड़ी फुट को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कैसे पाटते हैं यह देखना अहम है। साथ कांग्रेसियों के सामने भी एक सवाल है कि झारखंड में कांग्रेस की साख कैसे बचाते है और राज्य की हेमंत सरकार का कार्यकाल कैसे पूरा करते है।