पैसों की भूख ने धूमिल की छवि रंजन की छवि

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रांची : बड़े अरमां से मांगी थी अरमां तेरी, लेकिन तू तो बड़ी नादान निकली। जी हां, बहुत ही उम्मीद और आसरा से माता-पिता अपने बच्चे को पढ़ाते हैं और बच्चा अच्छा करता है तो फूले नहीं समाते है और यदि वह बच्चा पढ़ाई पूरी करके आईएएस बन गया, तब तो तो गांव और जिला के लोगों का भी सीना गर्व से फूल जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ होगा छवि रंजन के साथ जी हां, वही छवि रंजन जो जमीन घोटाले में जेल में बंद है। इन्होंने अपने माता-पिता, भाई-बहन और गांव जिला का नाम तो रोशन किया। लेकिन इनकी पैसे की भूख ने सब मटिया मेट करके रख दिया।

इनकी भूख तो भारत सरकार द्वारा निर्धारित वेतन मान सम्मान से भी नहीं भरा। इनकी भूख कुंभ की घड़े के समान हो गया। और वह घड़ा कभी नहीं भरा, नतीजा इन्होंने वह सब कुछ कर डाला जिससे दाग कहते हैं। आईएएस का परिणाम आते ही राज्य तक का गर्व बढ़ा, लेकिन छवि रंजन की करतूतों ने सभी का नाक कटवा दिया।

जी हां, पैसों की भूख ने जायज और नाजायज की परख को खा गया और छवि रंजन की छवि धूमिल हो गई। पढ़ने लिखने में तेज तरार आईएएस अधिकारी छवि रंजन सभी परीक्षाओं में अव्वल रहे लेकिन ईमानदारी की परीक्षा में नीचे गिर गए और चन्द हाथों का खिलौना बनकर नियम – कानून को ताक पर रख दिया। IAS छवि रंजन झारखंड कैडर के 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। बता दें कि रांची के विधायक व झारखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने तो बजट सत्र के दौरान आईएएस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए थे।

इसके बाद राज्य में सनसनी सी मच गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो छवि रंजन की स्कूलिंग जमशेदपुर से हुई है। इसके बाद 1999 में छवि रंजन ने बिष्टुपुर के सेंट मरीज हिन्दी स्कूल से मैट्रिक पास किया। इसके बाद टेल्को के चिन्मया स्कूल से 12वीं पास की। 12वीं पास करने के बाद छवि रंजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीएससी व एमएससी की डिग्री ली। इसके बाद छवि रंजन ने यूपीएससी की परीक्षा दी और 2011 में IAS बने।

आइएएस में चयन के बाद उन्हें झारखंड कैडर मिला था। झारखंड में उनकी पहली पोस्टिंग चक्रधरपुर में SDO पद पर हुई थी। आईएस छवि रंजन का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। 2015 में छवि रंजन कोडरमा के डीसी थे, इस दौरान उन्होंने मरकच्चो जिला परिषद डाक बंगला परिसर में लगे शीशम के पेड़ों को कटवा कर अपने घर मंगवा लिया था। इसके अलावा छवि रंजन ने हाईकोर्ट के वकील राजीव कुमार को भी धमकी दी थी।

वहीं, विधायक सीपी सिंह ने इन पर हथियार के लाइसेंस के लिए पैसे मांगने का आरोप भी लगाया था. जानकारी के मुताबिक, जब छवि रंजन रांची के DC थे, तब उनके कार्यकाल में बड़े पैमाने पर फर्जी कागजात के आधार पर जमीन की खरीद-फरोख्त की गई। इनमें बरियातू स्थित सेना की जमीन भी शामिल थी।

बता दें इस जमीन पर सेना का करीब 90 साल से कब्जा था, इसके बाद अचानक 2021 में प्रदीप बागची ने जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए जगतबंधु टी एस्टेट के डायरेक्टर दिलीप कुमार घोष को जमीन बेच दी। इस जमीन की सरकारी रेट 20 करोड़ 75 लाख थी, लेकिन बिक्री महज 7 करोड़ की दिखाई गई।

उसमें भी महज 25 लाख रुपये ही प्रदीप बागची के खाते में गए, बाकी पैसे चेक के जरिए भुगतान की जानकारी डीडी में दी गई। लेकिन जब ईडी ने चेक की जांच की तो पता चला कि खातों में पैसे पहुंचे ही नहीं। ईडी को पता चला कि चेक के भुगतान की गलत जानकारी डीडी में दी गई, ताकि खरीद-बिक्री सही लगे। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईएएस छवि रंजन जमीन घोटाने में खुद को फंसता देख आईएएस पद छोड़कर प्राइवेट सेक्टर में जाने की तैयारी में थे।

सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि छवि रंजन ने डीसी रहते हुए जो धन जमीन घोटाले से कमाया है उसे कहीं इनवेस्ट करके खुद प्राइवेट सेक्टर में जाने की तैयारी थी। लेकिन इससे पहले ही प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हे गिरफ्तार कर लिया।

 

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