मैं कहीं नहीं जा रहा- एनसीपी के साथ हूं और पार्टी के साथ रहूंगा : अजित पवार

विधायकों से सादा कागज पर हस्ताक्षर कराने के आरोपों को खारिज कर दिया

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मुंबई : महाराष्ट्र की सियासत किस करवट बैठे कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है। अब आप ही देखिए आज से लगभग एक साल पहले महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार हुआ करती थी। लेकिन एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर ली और बीजेपी से मिलकर सरकार बना ली। अब इसी क्रम में एक बहुत तगड़ी अफवाह उड़ी कि महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार एनसीपी का साथ छोड़कर बीजेपी गठबंधन में जाकर मिल जायेंगे। उनके साथ 30 विधायकों का समर्थन भी है। लेकिन आज इसका खंडन करते हुए अजीत पवार ने कहा कि ‘मैंने किसी विधायक के हस्ताक्षर नहीं लिए हैं। अब सभी अफवाहें बंद होनी चाहिए’ ।


प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि ‘मेरे बारे में फैली अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है। मैं एनसीपी के साथ हूं और पार्टी के साथ रहूंगा’। मैं एनसीपी को मजबूत करने के लिए काम करता रहूंगा. मीडिया ने फेक खबर फैलाई है। एनसीपी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन गया है, इसलिए हमारी कोशिश इसे वापस लाने की है। अजित पवार ने इस दौरान एनसीपी विधायकों से सादा कागज पर हस्ताक्षर कराने के आरोपों को खारिज कर दिया।
संजय राउत पर निशाना साधते अजित पवार ने कहा कि कोई बाहरी लोग एनसीपी को लेकर बयान जारी नहीं कर सकता है। एनसीपी के पास अपना नेता और प्रवक्ता है।
लेकिन अब सवाल उठने लगा है कि आखिर किन अटकलों ने महाराष्ट्र के राजनीतिक फिजा को गर्म किया। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में अजित पवार ने ऐसा बयान दिया दिया है जिससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया। प्रधानमंत्री के डिग्री विवाद पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के अपने जलवे हैं, उन्हें जनता ने डिग्री देखकर नहीं चुना है। इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से मिल आए. अजित पवार ने इस मुलाकात को भले किसानों के लिए बताया, लेकिन सियासी गलियारों में इसके अलग मायने निकाले गए।

अब यह सब चर्चा चल ही रही थी कि इसमें शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के बयान ने घी में आग का काम किया। उन्होंने बयान देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में आगामी 15 दिनों में एक नहीं, दो सियासी विस्फोट होंगे।