बढ़ रहा एनफ्लूएंजा और कोरोना का खतरा, अस्पताल छिपा रहे आंकड़े

पूर्वी सिंहभूम में कोरोना और इंफ्लूएंजा (एच-3एन-2) के मरीज अक्सर मिल रहे हैं।

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जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम में कोरोना और इंफ्लूएंजा (एच-3एन-2) के मरीज अक्सर मिल रहे हैं। सिर्फ एक महीने में अब तक दोनों बीमारियों के दर्जन भर से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन सरकारी अस्पताल इन बीमारियों के मरीजों का डाटा स्वास्थ्य विभाग को नहीं भेजते हैं। मतलब इन बीमारियों के मरीजों की जानकारी सरकारी अस्पतालों द्वारा गुप्त रखी जा रही है। जिले में अब तक पहचाने गए इन रोगों के सभी रोगियों की टीएमएच और टाटा मोटर्स अस्पताल में देखभाल की जा रही है। इन दोनों अस्पतालों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध है। एमजीएम व सदर अस्पताल समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में निगरानी विभाग को अभी तक किसी भी अन्य सुविधा के बारे में मरीज की जानकारी नहीं मिली है। जबकि सिविल सर्जन ने सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को मरीजों की जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए निजी अस्पतालों की तुलना में प्रतिदिन अधिक मरीज आते हैं। आज, सर्दी, खांसी और बुखार के अधिकांश मामले रोगी अनुभव करते हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल उनकी जांच नहीं करते हैं। एमजीएम अस्पताल में रोजाना 10 से 15 लोगों के ही कोरोना टेस्ट हो रहे हैं। सदर अस्पताल में कम समय के लिए कोरोना टेस्ट भी जरूरी कर दिया गया है। हालांकि जांच के बाद भी किसी संदिग्ध मरीज या संक्रमित हुए मरीज के बारे में कोई सूचना नहीं भेजी जाती है। क्योंकि बीमारी का पता चलते ही दोनों बीमारियों का इलाज शुरू हो सकता है, ऐसे में सरकारी अस्पतालों की इस मामले में लापरवाही भविष्य में घातक साबित हो सकती है।

 

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जमशेदपुर के एग्रिको में मिला कोरोना मरीज़

जमशेदपुर के एग्रिको में मिले कोरोना मरीज की देखभाल टाटा मोटर्स अस्पताल कर रहा है। मरीज 68 वर्षीय पुरुष है। बुखार और सर्दी होने का दावा करने के बाद भर्ती कराया गया था। जांच के बाद वह कोरोना संक्रमित पाए गए। बिरसानगर में कल एक और युवक में कोरोना संक्रमण पाया गया। जिले में पिछले 25 दिनों से कोरोना के मामले मिल रहे हैं। अब तक 21 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं। सिविल सर्जन डॉ. जुझार मांझी के अनुसार, सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को निगरानी विभाग को कोरोना वायरस या एच-3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस वाले मरीजों के बारे में जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है। ताकि मरीज का इलाज शुरू किया जा सके।