रांची : झारखंड सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से अवैध खनन मामले में पूछताछ के लिए अपने पुलिस अधिकारियों को नहीं बुलाने को कहा है। क्योंकि राज्य सरकार ने ईडी के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है।
राज्य के गृह सचिव राजीव अरुण एक्का ने इस संबंध में झारखंड डीजीपी के कार्यालय के माध्यम से ईडी को एक पत्र लिखा है। यह पत्र बरहरवा टोल मामले में साहिबगंज जिले के बरहरवा के पूर्व डीएसपी को ईडी द्वारा तलब किये जाने के मद्देनजर लिखा गया है।
गृह सचिव राजीव अरुण एक्का ने इस संबंध में झारखंड डीजीपी के कार्यालय के माध्यम से ईडी को लिखे पत्र में कहा है कि मेरा कहना है कि ईडी द्वारा प्रमोद मिश्रा डीएसपी साहिबगंज को तलब करना और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पुलिस अधिकारियों को बुलाने का मुद्दा उसके दायरे से बाहर है।
जिसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। यह मामला झारखंड और अन्य बनाम प्रवर्तन निदेशालय के रूप में डायरी संख्या के साथ दर्ज किया गया है।
उपरोक्त मामले को सुनने के लिए उल्लेख किया गया है और बहुत जल्द ही सुनवाई होने की उम्मीद है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि प्रवर्तन निदेशालय को इस बारे में सूचित करें और इस बीच उनसे अनुरोध करें कि वे इस मामले में आगे न बढ़ें। संबंधित अधिकारी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका के परिणाम का इंतजार करने की सलाह दें।
ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए डीएसपी पीके मिश्रा
दूसरा समन भेजे जाने के बाद भी डीएसपी पीके मिश्रा ईडी के समक्ष गुरुवार को पेश नहीं हुए। बरहरवा टोल प्लाजा मामले में व्यवसायी शंभू नंदन ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
प्राथमिकी के 24 घंटे के भीतर साहिबगंज पुलिस ने मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा को क्लीन चिट देने मामले समेत कई बिंदुओं पर ईडी उनसे पूछताछ करने वाली थी।
गौरतलब है कि ईडी ने डीएसपी को छह दिसंबर को समन भेजा था और 12 दिसंबर को रांची जोनल ऑफिस में उपस्थित होने का आदेश दिया था, लेकिन डीएसपी ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे। जिसके बाद ईडी ने 13 दिसंबर को समन भेज कर 15 दिसंबर को रांची जोनल ऑफिस उपस्थित होने को कहा था।
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