बिहार के तर्ज पर भत्ते की मांग कर रहे हैं झारखंड होमगार्ड के जवान

बिहार के तर्ज पर होमगार्ड के जवान भत्ता और सुविधा की मांग वर्षों से कर रहे हैं

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उपेंद्र गुप्ता

रांची : समान काम समान वेतन की मांग को लेकर झारखंड होम गार्ड के बीस हजार जवान आज भी इंसाफ के इंतजार में हैं, बिहार के तर्ज पर होमगार्ड के जवान भत्ता और सुविधा की मांग वर्षों से कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग राज्य सरकार कब पूरा करती है, इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.

 

झारखण्ड पुलिस के जवान के जैसे ही झारखंड होमगार्ड के जवान कार्य करते हैं

झारखंड होमगार्ड के जवान ठीक उसी तरह कार्य करते हैं, जैसे झारखण्ड पुलिस के जवान. उन्हें भी पुलिस जवानों की तरह वर्दी  मिलता है, पर्व त्यौहार हो या जुलूस प्रदर्शन, विधि व्यवस्था कायम रखने के लिए उन्हें भी पूरी मुस्तैदी के साथ ड्यूटी निभानी होती है, बैंक, सरकार दफ्तर की सुरक्षा की भी जिम्मेवारी उनके कंधों पर होती है, यहाँ तक की थानों में पदस्थपना में होमगार्ड के जवान नक्सल ऑपरेशान में भी हथियार लेकर जाते हैं. इसके बावजूद होमगार्ड को पुलिस जवान की तरह ना तो भत्ता मिलता है और ना ही अन्य सुविधा.

 

होमगार्ड के जवानों को एक दिन काम करने पर महज 500 रूपये मिलते हैं

होमगार्ड के जवानों को काम करने पर ही भत्ता मिलता है, आज भी उन्हें एक दिन काम करने पर महज 500 रूपये मिलते हैं, अगर ड्यूटी नहीं मिली तो भत्ता नहीं मिलता है, अर्थात अगर एक माह में 10 दिन ड्यूटी मिली तो भत्ता दस दिन का ही मिलता है. होमगार्ड के जवान इसी कारण से बिहार के होमगार्डो को मिलने वाली सुविधा की मांग कर रहे हैं, बिहार में होमगार्ड जवानों को दो तरह से एक मुश्त भत्ता मिलता है, उन्हें काम नहीं मिलने की चिंता नहीं होती हैं, बिहार में होमगार्ड जवान को 27 हजार प्रतिमाह भत्ता मिलता है, झारखंड के होमगार्ड के जवान भी ऐसे ही नियम बनाने की मांग कर रहे हैं.

 

अर्जुन मुंडा और रघुवर दास की सरकार में 2 बार भत्ते की वृद्धि हुई

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद अबतक दो बार होमगार्डो के भत्ते में वृद्धि कि गयी है, पहली बार अर्जुन मुंडा कि सरकार में और दूसरी बार रघुवर दास कि सरकार में होमगार्ड जवानों के भत्ते में बढ़ोत्तरी की गयी थी, इसके बावजूद इतने कम भत्ते में जवानों को घर परिवार चलना काफी मुश्किल होता है, चुंकि इन्हे काम पर ही भत्ता मिलता है, इसलिए उन्हें हमेशा ड्यूटी मिलने की चिंता से जूझना पड़ता है,राजधानी में तैनात जवानों को फिर भी ड्यूटी मिला जाती है, लेकिन जिलों में तैनात जवानों की स्थिति काफ़ी बदतर है, उन्हें ड्यूटी के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है. इसलिए वे बिहार की तर्ज पर भत्ते की मांग कर रहे हैं. होमगार्डो की मांग को सुप्रीम और उच्च न्यायलय ने सही ठहराते हुए तीन माह के भीतर उसे लागू करने का निर्देश जारी किया है, कोर्ट के आदेश की अवधि इसी माह 24 अप्रैल को समाप्त हो जायेगा, होमगार्ड के जवान इसी प्रतीक्षा में हैं कि सरकार कोर्ट कोर्ट के निर्देश पर उनकी मांगों को पूरा करेगी.

 

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