झारखण्ड आदिवासी महोत्सव 2023 विभिन्न जनजातीय समूह का नृत्य बना गवाह

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रांची : झारखंड आदिवासी महोत्सव अपने चरम पर है. अरुणाचल प्रदेश के “निशि” आदिवासी समुदाय का नृत्य प्रस्तुत किया गया. पांच जनजातीय समूह द्वारा अपने समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन हुआ. झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 का आज दूसरा दिन है. रंगारंग कार्यक्रम का शुभारंभ हो गया है. बता दे कि झारखंड आदिवासी महोत्सव विभिन्न जनजातीय समूह के नृत्य का गवाह बन रहा है.

असम के हाजोंग समुदाय द्वारा लेवा टाना तन नृत्य अपने आप मरीन अनूठा है.झारखंड आदिवासी महोत्सव -2023 का आगाज कल ही हो गया. आदिवासी दिवस पर देश के कई राज्यों से लोग शामिल होने पहुंचे हैं. कार्यक्रम की शुरुआत से पहले मणिपुर हिंसा में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि भी दी गयी और साथ ही एक मिनट का मौन रखा गया. इसके बाद दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम की शुरुआत की गयी.

कार्यक्रम में एक साथ 35 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया. जिसमें कई तरह के रिसर्च और महत्वपूर्ण किताबें हैं. आदिवासी महोत्सव के मौके पर एक खास डाक टिकट का भी लोकार्पण किया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बधाई देते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की. वही आज भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कार्यकर्म में मौजूद है.

क्यूंकि आज का दिन और खास है क्यूंकि आज पाइका नृत्य, उरांव आदिवासी समुदाय का लोक नृत्य, गोंड आदिवासी समुदाय का किहो नृत्य, कर्नाटक के आदिवासी समुदाय द्वारा दमनी लोक नृत्य, लखन गुड़िया का मुंडारी गायन वादन, पद्मश्री एच मधु मंसूरी की गायन प्रस्तुति, रमेश्वर मिंज द्वारा बांसुरी वादन, अरुणाचल प्रदेश के निशि आदिवासी समुदाय द्वारा रेखम पड़ा नृत्य, असम के हाजोंग आदिवासी समुदाय द्वारा लेवा टाना नृत्य, दिओरी आदिवासी समुदाय का बिहू नृत्य, झारखंड का डोमकच नृत्य व गुजरात के अफ्रीकन आदिवासी समुदाय द्वारा सिद्धि धमाल नृत्य की प्रस्तुति हुई.

 

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