मत्स्य के मामले में आत्मनिर्भर होगा झारखण्ड

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ब्यूरो रांची : तमिलनाडु के महाबलीपुरम में नेशनल फिश फार्मर्स डे पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल होने गए कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने  राज्य में मत्स्य उत्पादन एवं संभावनाओं के संदर्भ में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के समक्ष जानकारी दी। कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने झारखंड में मत्स्य क्षेत्र में  की जा रही योजनाओं की जानकारी दी और कहा कि राज्य में माइनिंग पिट में केज कल्चर की योजना दो साल से नवाचार के रूप में शुरू की गई है।

जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं।  राज्य में केज कल्चर को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है और वर्तमान में झारखंड राज्य के अंदर 7500 से ज्यादा केज लगाए गए हैं। 2023 _2024 के लिए 5200 केज का प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकृति हेतु भेजा गया है। जिसकी स्वीकृति दी जाए। उन्होंने कहा कि जिस वक्त झारखंड बिहार से अलग होकर नया राज्य बना, उस वक्त राज्य में 14 हजार मैट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ करता था। लेकिन आज राज्य में मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में 20 गुना वृद्धि  2 लाख 80 हजार मैट्रिक टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।

अगले दो साल में 3 लाख 70 हजार मैट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है।  कृषि सचिव ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि तटीय राज्यों में सागर मित्र की चलाई जा रही योजना की भांति झारखंड राज्य सहित अन्य राज्यों को मत्स्य मित्र की भी योजना का  लाभ दिया जाए। झारखंड की मिट्टी कठोर स्वभाव की है, और भारत सरकार द्वारा निर्धारित इकाई लागत कम है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है।

कृषि सचिव ने भारत सरकार से हजारीबाग और दुमका में एक्वा पार्क निर्माण हेतु सहयोग की मांग की और  ताकि अन्य प्रजाति जैसे मांगुर,सिंघी पंगास आदि प्रजाति के मत्स्य सीड के लिए दूसरे राज्य पर निर्भर नहीं रहना पड़े। मॉडर्न हेचरी, ब्रुड बैंक योजना की स्वीकृत एवं  तकनीकी सहयोग देने की भी बात कही।  उन्होंने कहा कि झारखंड में स्टेट ऑफ आर्ट के रूप में एक फिश एक्वेरियम हाउस के निर्माण की जरूरत  है, जिसमें केंद्र सरकार का सहयोग अपेक्षित है।

दो दिवसीय कार्यक्रम में भारत सरकार की योजनाओं की जानकारी दी गई साथ ही विभिन्न राज्यों में मत्स्य योजना की विस्तृत समीक्षा की गई। वही कार्यक्रम के पूर्व कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने पांडुचेरी में हाइजेनिक फिश मार्केट का भ्रमण किया। श्री  सिद्दीकी ने कहा कि यहां का फिश मार्केट काफी हाइजेनिक है।

यहां के मॉडल को अगर झारखंड में लागू किया जाए तो मत्स्य किसानों के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होगा। साथ ही ग्राहकों को हाइजेनिक फिश की उपलब्धता सदैव उपलब्ध रहेगी। उन्होंने बताया कि हाइजेनिक फिश मार्केट में करीब 150 किसानों को जगह दी गई है।

सभी फार्मर्स को इंडिविजुअल स्थान सुनिश्चित किया गया है।  मार्केट में फ्रिजर, पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज सहित तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। पैकेजिंग की उत्कृष्ट व्यवस्था होने की वजह से फिश को एक साल तक सुरक्षित रखा  जा सकता है। उन्होंने कहा कि यहां के फिश मार्केट के मेंटेनेंस का काम नगर निकाय देखता है जबकि कृषि विभाग इसकी फंडिंग और मॉनिटरिंग करता है। झारखंड सरकार की कृषि पशुपालन में सहकारिता सचिव के साथ मत्स्य निदेशक  एचएन द्विवेदी और मत्स्य उपनिदेशक अमरेंद्र कुमार भी मौजूद थे।

 

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