चंद्रृयान 3 में Jharkhand के HEC की है अहम भूमिका

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ब्यूरो रांची : अपनी पीठ पर चंद्रयान-3 लेकर जब इसरो का ‘बाहुबली’ रॉकेट LVM-तीन 14 जुलाई को रवाना होगा तो वह अपने साथ 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों की पोटली भी साथ ले जाएगा। चांद को चूमने पर ये उम्मीदें हर भारतीय के दिल में खुशी बनकर फूटेंगी। पूरा देश दुआएं कर रहा है। पिछली बार जो कसक रह गई थी, इस बार सब मंगल ही होगा। जी हां, आसमान की तरह मुंह करके बुलंद इरादों के साथ खड़ा भारत का चंद्रयान मिशन पर रवाना होने को तैयार है। पूरे देश को बेसब्री से चंद्रयान की श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग का इंतजार है। सांप और साधुओं का देश कहा जाने वाला भारत आज स्पेस टेक्नोलॉजी में दुनिया के ताकतवर देशों के साथ खड़ा है।

 

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रांची HEC के अधिकारी-कर्मी उत्सुकता से कर रहे प्रतीक्षा :

वही देशशभर में चंद्रयान -3 की लॉन्चिंग को लेकर जबरदस्त उत्साह है। उत्साह के इस दौर में मदर इंडस्ट्री झारखण्ड के रांची की एचईसी भी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही है। HEC के HMBP के प्लांट हेड रामजनम प्रसाद ने बताया कि चंद्रयान 3 को लेकर एचईसी से कई महत्वपूर्ण उपकरण इसरो को भेजा गया है। इसमें होरिजेंटल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग प्लेटफार्म और विल बोगी सिस्टम है। इन सभी उपकरणों का इस्तेमाल असेंबलिंग एरिया से लॉन्चिंग पैड तक किया जाता है। चंद्रयान 3 के मिशन को लेकर इसरो के साथ-साथ एचईसी की धड़कनें भी तेज हो चली है। दरअसल, 2000 से ही लगातार हर सेटेलाइट की लॉन्चिंग में रांची की एचईसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है।

 

 

चांद पर दौड़ेगा भारत का 6 पहिए वाला ‘साइंटिस्ट’ :

चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर 23 या 24 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है। पिछली बार क्रैश लैंडिंग हुई थी। स्पेस मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बनने के लिए तैयार है। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का रोवर चांद की सतह का अध्ययन करेगा और यह लैंडर के अंदर बैठकर जा रहा है। इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा से होगी। चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा। लैंडर के मिशन की पूरी अवधि एक चंद्र दिवस की रहने वाली है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है। दिलचस्प यह है कि यान के सॉफ्ट-लैंडिंग के लिए तारीख इस आधार पर तय की जाती है कि चंद्रमा पर सूर्योदय कब होता है। लैंडिंग करते समय, सूरज की रोशनी होनी चाहिए। चंद्रमा पर 14-15 दिन तक सूरज की रोशनी होती है और अगले 14-15 दिन तक सूरज की रोशनी नहीं रहती है।