DA पर संयुक्त आंदोलनकर्ताओं की राज्यपाल से फरियाद

राजभवन से सहयोग का आश्वासन

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कोलकाता: राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने डीए की मांग पर आंदोलन कर रहे राज्य के सरकारी कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि डीए की मांग सही है। वह संवैधानिक पद से इस मांग को पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगे।

डीए की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे सरकारी कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को राजभवन में राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मुलाकात की। रविवार की सुबह आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचा। संग्रामी संयुक्त मंच के 5 सदस्यों ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस के साथ बैठक की। राज्यपाल के साथ बैठक के बाद राजभवन से बाहर आकर मंच के सदस्यों ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी डीए की मांग जायज है।

सीवी आनंद बोस खुद एक पूर्व सरकारी कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा है कि आंदोलनकारियों की डीए की मांग सही है। वह संवैधानिक पद से इस मांग को पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगे।

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आंदोलनकारियों ने दावा किया कि राज्यपाल ने उन लोगों की मांग पर सहमति जताई है। राज्यपाल त्रिपक्षीय बैठकों की मध्यस्थता और व्यवस्था करेंगे।

आंदोलनकारियों ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से जब तक कोई संदेश नहीं आता है तब तक धरना और अनशन जारी रहेगा। मंच के सदस्यों ने आगे कहा कि राज्यपाल के आश्वासन के बावजूद आंदोलन नहीं थमेगा।

बता दें, इससे पहले शनिवार रात राज्यपाल ने राजभवन से दो ट्वीट किए थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें इस बात का दुख है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों का डीए के लिए आंदोलन चौथे सप्ताह में प्रवेश कर गया है। हालांकि समस्या जटिल है, लेकिन इसे बातचीत से ही हल किया जा सकता है।

राज्यपाल बोस ने सभी संबंधित पक्षों से भूख हड़ताल तत्काल हटाकर चर्चा में बैठने का आह्वान किया था। राज्यपाल के आह्वान पर संयुक्त संग्रामी मंच के पदाधिकारी रविवार को राजभवन गये थे।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों का एक वर्ग पिछले 4 हफ्तों से केंद्रीय दर पर डीए की भुगतान और डीए बकाया की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है।

इस बीच राज्य सरकारी कर्मचारियों ने इसे लेकर 10 मार्च को हड़ताल भी किया था। हालांकि सरकार ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए ऐलान किया था कि जो कर्मचारी अनुपस्थित रहेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

इसके अलावा दस मार्च को डीए आंदोलनकारियों ने हड़ताल का आवाहन किया था। संयुक्त मंच के सदस्यों ने दावा किया कि हड़ताल समर्थक वर्तमान में राज्य सरकार की आंखों की किरकिरी हैं। इसलिए उन्हें धमकियां मिल रही हैं।

काम में शामिल होने में भी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त मंच के सदस्यों ने प्रदर्शनकारियों पर हो रहे हमले को रोकने के लिए राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग भी की। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार डीए की उलझन को दूर करने के लिए कोई कदम उठाती है या नहीं।