मलबे में फंसी 6 साल की बच्ची के लिए देवदूत बने ‘जूली और रोमियो’

इन डॉग्स में जूली और रोमियो का नाम काफी चर्चित है।

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नई दिल्ली ।  बीते दिनों तुर्की और सीरिया में आए महाविनाशाकारी भूकंप के चलते 21 हजार से भी ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए। बद से बदतर हालातों में घायल और मलबे में दबे लोगों की मदद के लिए पूरी दुनिया से हाथ बढ़ाया गया है।

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इसी कड़ी में ऑपरेशन दोस्त के तहत भारत से भी राहत बचाव, मेडिकल सुविधाओं और साजो सामान के साथ एनडीआरएफ की कई टीमें भेजी गई हैं।

एनडीआरएफ के इन समूहों के साथ कुछ स्निफर डॉग्स भी भेजे गए हैं जो कि काफी ज्यादा मददगार साबित हो रहे हैं। ये डॉग्स मलबे में बेहद मामूली मूवमेंट और महक तो बहुत तेजी से कैच करके रिएक्शन दे रहे हैं। जिससे टीमों के उस क्षेत्र में मलबे के नीचे किसी के जीवित होने का हिंट मिल जा रहा है।

इन डॉग्स में जूली और रोमियो का नाम काफी चर्चित है। बीते गुरुवार को ही एनडीआरएफ ने राहत बचाव कार्य करते हुए गंजियतेप शहर में इमारत के मलबे से 6 साल की बच्ची को सफलतापूर्वक बाहर निकाला। इस बच्ची तक पहुंचने में स्निफर डॉग जूली का बड़ा योगदान था। दरअसल जूली ने ही बच्ची को ढूंढ निकाला था। अगर बच्ची को कुछ और समय तक नहीं ढूंढा जाता तो उसकी जान भी जा सकती थी।

वहीं भारत ने तुर्की के बचाव प्रयासों में मदद के लिए कई सैन्य ट्रांसपोर्ट विमानों में राहत सामग्री, एक मोबाइल अस्पताल और विशेष खोज और बचाव दल को भेजा. दुनिया भर के कई देशों ने बचाव और बचाव के प्रयासों में इन दोनों देशों की मदद की है. भारतीय सेना की इन टीमों में महिला कर्मी भी शामिल हैं।

बता दें कि तुर्की और सीरिया के लिए सोमवार का दिन काला साबित हुआ. सुबह, दोपहर और शाम के समय में तीन बड़े भूकंप आए। सोमवार सुबह से ही भूकंप ने ऐसी तबाही मचाई कि बड़ी-बड़ी इमारतें भी सेकेंडों में जमींदोज हो गईं. तुर्की सीरिया दोनों की बात करें तो भूकंप की चपेट में आकर अब तक 21 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि हजारों लोग इस तबाही में घायल हुए हैं। 8 हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है, जबकि काफी लोगों को अभी तक भी रेस्क्यू किया जा रहा है।