जस्टिस गांगुली ने दिया इस्तीफा, करेंगे बीजेपी ज्वाइन

कहा-डायमंड हार्बर से मैदान में उतारा तो लाखों वोट से जीतूंगा, सीपीएम 'नास्तिक' और कांग्रेस में 'परिवारवाद'

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कोलकाता, सूत्रकार : कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह अब भाजपा में शामिल होंगे। इस्तीफा देने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संभवत: 7 मार्च को दोपहर में एक कार्यक्रम का आयोजन होना है, जिसमें वह भाजपा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा लोकसभा में उनको उम्मीदवार बनाती है तो वह चुनाव लड़ेंगे। सूत्रों के मुताबिक भाजपा उनको तमलुक लोकसभा से मैदान में उतार सकती है। इसके साथ ही पूर्व जज ने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा ही लड़ सकती है।

अभिजीत ने कहा कि मैं सीपीएम में शामिल नहीं होऊंगा क्योंकि मैं भगवान में विश्वास करता हूं। मैं धर्म में विश्वास करता हूं। मैं उनसे मेल नहीं खाऊंगा। कांग्रेस पारिवारिक जमींदारी की पार्टी है। इसमें परिवारवाद है। यहां जयराम रमेश जैसे पढ़े-लिखे लोग हैं लेकिन उन्हें पद नहीं मिलता। अभिजीत गंगोपाध्याय ने तृणमूल पर निशाना साधते हुए कहा कि अब तृणमूल नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि टीएमसी की जड़ें भीतर से टूट रही हैं। गंगोपाध्याय ने कहा कि वह राजनीति में जा रहे हैं क्योंकि उन पर सत्ताधारी पार्टी ने हमला किया है। उन्होंने मुझे प्रेरित किया।

शुभेंदु अधिकारी को नारद मामले में पैसे लेते देखा गया था। इस सवाल के जवाब में अभिजीत ने कहा कि शुभेंदु साजिश के शिकार हो गए थे। उनसे पूछा गया, लेकिन जो तृणमूल नेता दिखा रहे हैं, ऐसा है नहीं, वह साजिश के शिकार हैं? मुझे लगता है कि तृणमूल उपद्रवियों का एक समूह है।

मैं तृणमूल को राजनीतिक दल नहीं मानता। उन्होंने तणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के नाम लिए बिना कहा कि अगर मैं डायमंड हार्बर से चुनाव लड़ा तो लोखों वोटों उन्हें से हरा दूंगा।

2024 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की स्थिति वही होगी जो 2009 में सीपीएम की थी और 2026 तक टीएमसी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। बस कुछ गिरफ्तारियों की जरूरत है।

इससे पहले जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा और उसकी प्रति देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टी एस शिवगणम को भेज दिया हूं।