दुमका : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और जेएमएम की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन ने दुमका और राजमहल में कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने पार्टी प्रत्याशी नलिन सोरेन और विजय हासंदा के लिए चुनावी सभा की और समर्थन में वोट मांगा। इस मौके पर उन्होंने दहाड़ मारी। कहा कि न कभी दिशोम गुरुजी झुके, न उनके बेटे हेमंत जी झुके। इसलिए हेमंत जी को भाजपा ने साजिश के तहत जेल में डाल दिया। भाजपा डरती है आपके आदिवासी नेता हेमंत सोरेन जी से, इसलिए चुनाव से ठीक पहले उन्होंने हेमंत जी को जेल में डाल दिया। हेमंत जी ने 1932 खतियान, पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण, सरना आदिवासी धर्म कोड जैसे मुद्दे विधानसभा से पारित किये। कल्पना ने कहा कि इस बार का चुनाव आप जनता मालिक लड़ रही है। भाजपा के खिलाफ हेमंत जी की जेल की चाबी आप सभी के पास है। बीजेपी के मौसमी नेता आप के बीच बरगलाने की कोशिश करने आयेंगे, आपको उनकी बात सुनने के बाद सिर्फ झारखंड के सम्मान के प्रतीक तीर-धनुष का बटन दबा देना है।
कल्पना सोरेन ने कहा कि हम लोग झारखंड का बकाया एक लाख 36 हजार करोड़ रुपया केंद्र की तानाशाह सरकार से मांग रहे थे। लोगों को राशन, पेंशन और अबुआ आवास दे रहे थे। इसी से भाजपा को भारी तकलीफ हो गयी और आपके नेता के साथ ऐसा षडयंत्र कर डाला। कल्पना ने कहा कि आपने देखा कि भाजपा ने मणिपुर में आदिवासियों की क्या हालत की। वहां डबल इंजन सरकार में आदिवासी मां-बेटियों को क्या-क्या यातनाएं दी गयीं। मगर कभी वहां के मुख्यमंत्री को हटाया नहीं गया। कल्पना सोरेन ने कहा कि भाजपा झारखंड के आदिवासी-मूलवासी की विरोधी है। कल्पना सोरेन ने कहा कि आज संथाल परगना की संघर्षशील और क्रांतिकारी भूमि दुमका लोकसभा से इंडिया गठबंधन(झामुमो) के प्रत्याशी चाचा जी नलिन सोरेन जी के पक्ष में नाला में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर जनता को संबोधित करने का सौभाग्य मिला।
कहा कि झारखंड और झारखंडवासियों ने कभी झुकना नहीं सीखा। यह वही क्रांतिकारी भूमि है, जहां से बाबा तिलका मांझी, अमर वीर शहीद सिदो कान्हू, फूलो झानो और चांद भैरव जैसे अनेक अमर वीर शहीदों और क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों और महाजनों के अत्याचार के विरुद्ध तीर-धनुष से लड़ाई लड़ी थी। कल्पना ने कहा कि एक ही परिवार से छह भाई बहन अमर वीर शहीद सिदो कान्हू, फूलो झानो और चांद-भैरव कभी झुके नहीं, बल्कि अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़े। दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने भी झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों के हक-अधिकार के लिए महाजनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आज हम गर्व से कहते हैं कि हम झारखंडी हैं। यह झारखंड उन्हीं दिशोम गुरुजी और असंख्य आंदोलनकारियों के संघर्षों की देन है। यह हमारा स्वाभिमान का निशान तीर-धनुष ही है जो आजादी के समय भी हमारे सम्मान का प्रतीक था। आज भी हमारे शान का प्रतीक है।
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