विश्व भारती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को हटाए जाने पर राष्ट्रपति को लिखा पत्र

प्रबंधन ने पत्र लिखने पर जतायी नाराजगी

136

कोलकाताः विश्व भारती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुदीप्त भट्टाचार्य को निलंबित किये जाने के मामले में जाने-माने भाषाविद् नोम चोमस्की सहित 250 से अधिक शिक्षाविदों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।

इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने नाराजगी जताई है। जाने-माने भाषाविद् नोम चोमस्की सहित 250 से अधिक शिक्षाविदों की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर विश्व भारती के एक प्रोफेसर को हटाए जाने और उनसे हस्तक्षेप की अपील करने के तीन दिन बाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने एक बयान जारी करके इस बात पर अप्रसन्नता जताई है।

विश्वविद्यालय ने अपने बयान में इस बात पर अप्रसन्नता जताई कि हस्ताक्षरकर्ताओं ने वास्तविक हालात का पता लगाए बगैर पत्र पर हस्ताक्षर किए। विश्व भारती की प्रवक्ता डॉक्टर महुआ बनर्जी की ओर से शुक्रवार शाम को जारी बयान में यह दावा किया गया कि प्रोफेसर सुदीप्त भट्टाचार्य एक संगठन के पदाधिकारी थे, जिसकी कोई संस्थागत मान्यता नहीं है और कार्यकारी परिषद ने कदाचार के लिए उनके खिलाफ पूर्व में 14 बार आरोप पत्र पेश किए थे।

इसे भी पढ़ेंः  बिरसा युवा मंच का पतंग प्रतियोगिता आज

बयान में कहा गया कि भट्टाचार्य के कदाचार में परिसर में विश्वविद्यालय की संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने के लिए छात्रों को उकसाना, पूर्व में कुलपति तथा रजिस्ट्रार का घेराव, 2020 में प्रख्यात स्तंभकार तथा राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्त का घेराव आदि शामिल है। विश्वविद्यालय ने दावा किया कि अधिकतर हस्ताक्षरकर्ता बंगाल से और एक ही सरकारी विश्वविद्यालय से हैं।

गौरतलब है कि जाने-माने भाषाविद नोम चोमस्की सहित 250 से अधिक शिक्षाविदों ने नौ जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अवांछनीय कार्यों को लेकर विश्व भारती के प्रोफेसर सुदीप्त भट्टाचार्य की सेवा समाप्ति की सूचना दी और उनके हस्तक्षेप की मांग की। यह पत्र नौ जनवरी को लिखा गया था।

पत्र में विश्व भारती द्वारा की गई कार्रवाई को अवैध बताया गया है। पत्र में कहा गया कि विश्वविद्यालय ने विभिन्न मौकों पर भट्टाचार्य द्वारा कथित रूप से जिन कार्यों का उल्लेख कदाचार की सूची में किया है उन्हें सत्यापित करने के लिये कोई जांच नहीं की गई।

पत्र की एक प्रति पीटीआई को उपलब्ध कराई गई है। राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में कहा गया कि भट्टाचार्य को 22 दिसंबर को केंद्रीय विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में उनके विश्व भारती के साथ सेवा/अनुबंध को समाप्त करने के बारे में बताया गया था।