लोकसभा चुनाव : गिरिडीह संसदीय सीट पर इस बार भी गुल खिलाएगी भाजपा-आजसू को दोस्ती

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रांची : लोकसभा चुनाव-2024 का बिगुल बज गया है। झारखंड की कुल 14 लोकसभा सीटों में एक है गिरिडीह संसदीय क्षेत्र। यह खनिज संपदा से संपन्न क्षेत्र है। यह गिरिडीह, बोकारो और धनबाद जिले के कुछ हिस्सों को मिला कर बना है। इस सीट पर एक बार फिर से राजनीतिक गोटी सेट होनी शुरू हो गई है। हालांकि, झारखंड में आजसू पार्टी और भाजपा के बीच समझौता है, तो ऐसे में यह माना जा रहा है कि गिरिडीह की सीट इस बार भी आजसू के खाते में ही रहेगी।

इस सीट पर 1957 में हुआ पहला लोकसभा चुनाव

गिरिडीह लोकसभा सीट का गठन संयुक्त बिहार में 1957 में हुआ था। यहां देश में हुए दूसरी लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी काजी एसए मतीन विजय हुए थे। छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी को कुल 51.3 फीसदी वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नागेश्वर प्रसाद सिंह को 30.9 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 11.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

1962 में हुए लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से स्वतंत्र पार्टी के ठाकुर बटेश्वर सिंह विजयी हुए थे। इन्हें कुल 39.8 फीसदी वोट मिले थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को 36.4 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए थे। 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदला और अब्दुल इम्तियाज अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया। 1967 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 33 फीसदी मत प्राप्त हुए जबकि निर्दलीय प्रत्याशी एमएस ओबराय को 31.02 और भारतीय जनसंघ को 17.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए।

कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य ने 1971 में दर्ज की जीत

1971 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चपलेंदु भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बनाया और इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 37.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए। इंडियन नेशनल कांग्रेस (ओ) के कृष्ण बल्लभ सहाय को 34.8 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए। वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 17.8 फीसदी मत प्राप्त हुए। 1977 के लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी। भारतीय लोक दल के रामदास सिंह को 56.4 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 29.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए।

कांग्रेस के बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे 1980 में जीते

1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता बिहार के 21 में मुख्यमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झारखंड बिहार संयुक्त के प्रदेश प्रभारी रहे बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे की जीत हुई थी। इन्हें 34.4 फीसदी वोट मिले थे। जनता पार्टी के रामदास सिंह को 35.9 फीसदी और निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े विनोद बिहारी महतो को 18.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पूरे देश में सहानुभूति की लहर थी, जिसमें एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की लेकिन इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी उम्मीदवार को बदल दिया। बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे की जगह यहां से सरफराज अहमद को पार्टी ने टिकट दिया। सरफराज को यहां कुल 51.8 फीसदी मत प्राप्त हुए थे जबकि निर्दलीय उम्मीदवार विनोद बिहारी महतो को 18.8 और भाजपा के रामदास सिंह को 17.4 फीसदी मत प्राप्त हुए।

भाजपा 1989 में पहली बार दर्ज की जीत

1989 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा के रामदास सिंह को 35.2 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। वहीं, निर्दलीय के तौर पर विनोद बिहारी महतो ने 31.5 फीसदी वोट प्राप्त किए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरफराज अहमद को 26.9 फीसदी मत प्राप्त हुए।

1991 के लोकसभा चुनाव में विनोद बिहारी महतो झामुमो से चुनाव लड़े। इससे पहले विनोद बिहारी महतो लगातार इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे और दूसरे स्थान पर रहते थे। इस बार झामुमो ने 1991 में विनोद बिहारी महतो को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्हें कुल 47.2 फीसदी वोट मिले।जबकि उनके प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 31.02 फीसदी मत प्राप्त हुए। वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरफराज अहमद को 15.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए।

भाजपा ने 1996-1998-1999 में दर्ज की जीत

1996 की लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने जीत दर्ज की। इस बार भाजपा ने रविंद्र कुमार पांडे को अपना उम्मीदवार बनाया था। भाजपा को 1996 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से 29.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे जबकि जनता दल को 20.7 फीसदी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (एम) को 16.3 और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 13.7 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

1998 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से रविंद्र पांडे ने दूसरी बार इस लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। भाजपा को 1998 में 44.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 34 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। 1999 में भी लोकसभा उप चुनाव में फिर से भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज किया था। भाजपा को 1999 में कुल 46 फीसदी मत प्राप्त हुए जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 42.3 फीसदी मत प्राप्त हुए।

झारखंड बंटवारे के बाद झामुमो का कब्जा

झारखंड बंटवारे के बाद पहली बार 2004 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह की लोकसभा सीट भाजपा के हाथ से निकल गई। इससे पहले लगातार तीन बार इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया था लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से झामुमो के टेकलाल महतो ने जीत दर्ज की। इन्हें कुल 49 फीसदी मत प्राप्त हुए। भाजपा के रविंद्र कुमार पांडे को 28.5 फीसदी और जनता दल यूनाइटेड के इंद्रदेव महतो को 11.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

भाजपा ने 2009 में फिर हासिल की जीत

2009 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने गिरिडीह सीट पर अपना कब्जा किया और रविंद्र कुमार पांडे भाजपा के एक बार फिर इस सीट से विजयी हुए। रविंद्र कुमार पांडे को 37.7 फीसदी मत प्राप्त हुए, जबकि झामुमो को 24 फीसदी और झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक को 20.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए।

2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर फिर रविंद्र कुमार पांडे भाजपा से विजयी हुए। इस बार रविंद्र कुमार पांडे को कुल 40.4 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। झामुमो के जगन्नाथ महतो को 36.02 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के सभा अहमद को 5.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे जबकि आजसू पार्टी के उमेश चंद्र मेहता को 5.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए।

2019 में भाजपा से हुए समझौते में सीट आजसू के खाते में गई

2019 की हुए लोकसभा चुनाव में गिरिडीह सीट पर भाजपा और जो झारखंड स्टूडेंट यूनियन के बीच सीटों का समझौता हुआ था, जिसके तहत यह सीट आरजू के पास चली गई। आजसू पार्टी के चंद्र प्रकाश चौधरी ने गिरिडीह सीट से 2019 में जीत हासिल की। इन्हें कुल 58.6 फीसदी मत प्राप्त हुए जबकि झामुमो के जगन्नाथ महतो को 36.01 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे।

 

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