भगवान जगन्नाथ का रथ यात्रा 20 जून को, रथ के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में

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रांची : पूरी की तरह झारखंड की राजधानी रांची का रथयात्रा भी काफ़ी प्रसिद्ध है. धुर्वा के नीलाद्री पहाड़ पर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है, दूर दूर से सैड़कों श्रद्धालू रोज यहां दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन रथयात्रा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालू यहां आते है, उस दिन धुर्वा में बहुत बड़ा मेला भी लगता है. जिसका इंतजार भगवान के भक्त पूरे साल करते हैं.

 

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20 जून को निकलेगा रथयात्रा

इस साल 20 जून को रथयात्रा निकली जाएगी, जिसकी तैयारी मंदिर कमेटी के द्वारा किया जा रहा है. भगवान का रथ बनाने का कार्य जारी है, उड़ीसा के कारीगर रथ में लकड़ी बनाने का कार्य कर रहे हैं.  रथयात्रा से एक दिन पहले अंतिम रूप दे दिया जायेगा. मंदिर के पुजारी रामेश्वर पांढी ने बताया कि हर अक्षय तृतीया के दिन से भगवान का रथ बनाने का कार्य शुरू होता है और एक दिन पहले तैयार कर लिया जाता है.

35 फिट लम्बा और 45 फिट ऊँचा है रथ

भगवान जगन्नाथ का रथ साल, सखुआ और आम के लकड़ियों से तैयार होता है. लगभग 1200 सी एफ टी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है, रथ की लम्बाई और चौड़ाई 35-35 फिट है, जबकि ऊंचाई 40 फिट है, लेकिन झंडा और कलश मिला कर ऊंचाई 45 फिट हो जाती है.

रथयात्रा के दिन विशेष पूजा का आयोजन

रांची जगन्नाथ मंदिर के पुजारी रामेश्वर पांढी ने बताया कि रथ यात्रा के दिन 4 बजे सुबह भगवान कि पूजा और आरती के बाद 5 बजे से आम भक्तों के लिए मंदिर का पट खोल दिया जाता है. दिन में 2 बजे फिर पट बंद कर दिया जायेगा. लगभग ढ़ाई बजे भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार हो जायेंगे. रथ पर ही भगवान का श्रृंगार किया जायेगा, 3 बजे से 4.30 बजे तक विष्णु
सहस्रनाम का पाठ किया जायेगा, उसके बाद रथ में रस्सी बांधा जाएगा, 5 बजे भगवान अपने मौसी बाड़ी के लिए प्रस्थान करेंगे और रथ को आम भक्त खींचेंगे.6.30 बजे भगवान मौसी बाड़ी पहुंचेंगे, 8 बजे भगवान कि मंगल आरती के बाद शयन के लिए चले जाएंगे.

333 साल पुराना है रथ मंदिर

रांची के भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 1691 में हुआ था. तब के महाराजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने इस मंदिर को बनवाया था. उनके वंशज ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर नीलाद्री पहाड़ पर 41 डिसमिल जमीन पर बना है. जबकि नीलाद्री पहाड़ 27 एकड़ में फैला है.