नयी दिल्ली/कोलकाता, सूत्रकार : तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा लोकसभा से अपने निष्कासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सामने संसद की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को गलत बताया है। बता दें कि बीते 8 दिसंबर को कैश फॉर क्वेरी मामले में एथिक्स कमेटी ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें महुआ मोइत्रा को एक सांसद के रूप अनैतिक गतिविधियों का दोषी बताया गया था और सासंदी रद्द करने की सिफारिश की गई थी।
जिसके बाद एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी।
अब टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा अपने निष्कासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की हैं। सदस्यता रद्द होने के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा कि एथिक्स कमेटी के पास सदस्यता रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हीरानंदानी से पैसे लेने के कोई सबूत नही हैं।
भाजपा एमपी निशिकांत दुबे ने उठाया था मुद्दा
बता दें कि इसी साल 15 अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी के सासंद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिख महुआ के खिलाफ संसद में सरकार और अड़ानी ग्रुप के खिलाफ सवाल पूछने के बदले रिश्वत और महंगे गिफ्ट लेने का आरोप लगाया था। उन्होंने महुआ मोइत्रा को तत्काल प्रभाव से सदन से निलंबित किए जाने की मांग की थी। पत्र में आगे कहा गया था कि पूरी पड़ताल एक एडवोकेट जय अनंत देहाद्रई ने की है, जिसमें 50 से ज्यादा बिजनेसमैन से लिंक होने का खुलासा हुआ है।