महिला आरक्षण बिल पर महुआ मोइत्रा ने कहा- ममता बनर्जी हैं ‘मदर ऑफ बिल’

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नई दिल्ली/कोलकाता : नारी शक्ति वंदन बिल यानी महिला आरक्षण बिल पर बुधवार को लोकसभा में जोरदार बहस देखने को मिली। दलों से उठकर लगभग सभी महिला सांसदों ने इस बिल के पक्ष में अपना मत रखा।  इसके अलावा इस बिल के समर्थन में सभी दलों में क्रेडिट लेने की होड़ भी दिखी। इसी क्रेडिट में शामिल थी टीएमसी। अक्सर अपने जोरदार भाषण के लिए जाने जाने वाली टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘मदर ऑफ बिल’ बताया। महुआ मोइत्रा ने कहा कि ममता बनर्जी ने पहले से ही लोकसभा में महिलाओं को पर्याप्त जगह दी है, वे असल मायने में  ‘मदर ऑफ बिल’ हैं। मोइत्रा ने जल्द से जल्द कानून बनाने की मांग की। उन्होंने कहा, महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए।

महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण बिल पर हो रही देरी को लेकर अपनी निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि आज मेरे लिए गर्व और शर्म की बात है कि आजादी के 75 साल बाद मैं संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में शामिल हो रही हूं।

 

उन्होंने आगे कहा कि ये मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं टीएमसी से जुड़ी हूं एक ऐसी पार्टी जहां संसद पहुंचने वाले सदस्यों में 37 फीसदी महिलाएं हैं। लेकिन ये मेरे लिए दुख की बात है कि मैं उस संसद से ताल्लुक रखती हूं जहां मात्र 15 फीसदी सदस्य महिलाएं हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों से कम है। महुआ ने कहा कि संसद में दलित और मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में मात्र 2 मुस्लिम महिलाएं हैं और वे दोनों ही पश्चिम बंगाल से हैं और दोनों ही तृणमूल कांग्रेस से हैं।

टीएमसी सांसद ने कहा कि बीजेपी के नेता हमसे संपर्क कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि बिना शर्तों के साथ इस बिल का समर्थन करिए। हम उनसे कहना चाहते हैं कि टीएमसी न सिर्फ इस बिल का समर्थन कर रही है बल्कि वास्तविकता ये है कि भारत की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिन्हें ‘मदर ऑफ दिस बिल’ कहा जाना चाहिए। जिन्होंने महिलाओं को संसद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का मूल विचार दिया है। जिन्होंने अपनी पार्टी से 37 फीसदी महिलाओं को इस संसद में भेजा है। आपने क्या किया है? आपने कितने लोगों को भेजा है।

महुआ ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आपको इस बिल का नाम वीमेन रिजर्वेशन रिशेड्यूलिंग बिल रख देना चाहिए। क्योंकि इसका एजेंडा देरी करना है। उन्होंने कहा कि इस संसद में कब 33 फीसदी महिला सांसद कब बैठेंगी इसकी जानकारी अभी नहीं है।