राहुल गांधी की बर्खास्तगी संवैधानिक आजादी की ताबूत में आखिरी कील: महुआ

हर एक राजनीतिक दल केंद्र सरकार के खिलाफ और राहुल गांधी के समर्थन में हैं

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कोलकाता: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा से बर्खास्त कर दिया गया है। इस बर्खास्तगी को लेकर पूरे देशभर की राजनीति में भूचाल आ गया है। देश की सभी छोटी पार्टियों ने इसकी कड़ी निंदा की है। हर एक राजनीतिक दल केंद्र सरकार के खिलाफ और राहुल गांधी के समर्थन में हैं।

राहुल गांधी के समर्थन में बीजेपी पर पलटवार करते हुए तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी ट्वीट किया है। महुआ ने कहा है कि राहुल गांधी की बर्खास्तगी देश की संवैधानिक आजादी की ताबूत में आखिरी कील है।

राहुल गांधी की बर्खास्तगी को लेकर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी ने भी ट्वीट किया था लेकिन दोनों ने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया। वहीं महुआ मोइत्रा ने राहुल गांधी का नाम लेकर उनके समर्थन में ट्वीट किया है।

संवैधानिक आजादी की ताबूत में आखिरी कील

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा,’ अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस इस घटना की कड़ी निंदा करती है। राहुल गांधी को लोकसभा से बर्खास्त करने की घटना साबित करती है कि यह भारत में संवैधानिक स्वतंत्रता के ताबूत में आखिरी कील है।

‘ खास बात है कि पश्चिम बंगाल की सत्तारुढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है। हाल ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ बैठक में ममता बनर्जी ने साफ कहा था कि वो अब कांग्रेस के साथ नहीं हैं।

वो बीजेपी के खिलाफ लड़ेंगी पर कांग्रेस से अलग रहकर लड़ेंगी। अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस एक बड़ी पार्टी है वो अपना स्टैंड खुद ही तय करे। आज तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने अपने ट्वीट में राहुल का नाम नहीं डाला है।

पहले भी राहुल के समर्थन में उतरी थीं महुआ

ऐसा पहली बार नहीं है जब तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने खुलकर राहुल का पक्ष लिया हो। 17 मार्च को भी महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर राहुल गांधी का समर्थन किया था।

दरअसल बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी पर ‘देश का अपमान’ करने का आरोप लगाते हुए उन्हें लोकसभा से निष्कासित करने की मांग की थी। वहीं 18 मार्च को तृणमूल सांसद महुआ मैत्रा ने शिकायत की कि निशिकांत की पीएडी और एमबीए की डिग्री फर्जी है।

दूसरे ट्वीट में महुआ ने टिप्पणी की,’दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक प्रश्न के उत्तर में लिखित रूप में कहा है कि माननीय सदस्य (निशिकांत) नाम के किसी भी व्यक्ति को 1993 से एमबीए पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं दिया गया है या वहां डिग्री प्राप्त नहीं की गई है। सूचना का अधिकार कानून से जुड़े सवाल का भी यही जवाब दिया।