DA की मांग कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ ममता सरकार सख्त

ऑफिस टाइम में नहीं होगी सभा या मीटिंग की इजाजत

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कोलकाता : सरकारी कर्मचारियों की डीए की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के मद्देनजर ममता सरकार ने फरमान जारी किया है। फरमान में कहा गया है कि सरकारी दफ्तरों में टिफिन टाइम में भी कोई सभा-जुलूस नहीं निकाला जा सकता है। कर्मचारी समय से कार्यालय आएं, निर्धारित समय पर ही निकलें। राज्य सरकार ने सरकारी दफ्तरों में काम और टिफिन के समय की समय सीमा तय कर दी है।

राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि टिफिन का समय दोपहर 1.30 से 2.00 बजे के बीच होगा। इस दौरान कोई मीटिंग या सभा नहीं हो सकती है। अगर कोई आधा ऑफिस छोड़ता है तो उसे एब्सेंट माना जाएगा।

राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने तथा कार्य के घंटों के दौरान किसी भी अतिरिक्त गड़बड़ी से बचने के लिए कार्यालय प्रमुख की अनुमति के बिना किसी को भी कार्यालय से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इन नियमों के अनुपालन की कड़ी निगरानी की जायेगी तथा नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति को कार्यालय से अनुपस्थित माना जायेगा। इस बीच कई सरकारी कर्मचारी संगठनों ने आज (सोमवार) एक ओर पेनडाउन करने की घोषणा की है। इस पेनडाउन को लेकर नवान्न का रुख सख्त है।

राज्य सरकार की ओर से सभी सरकारी कर्मचारियों को उस दिन अपने-अपने कार्यालयों में उपस्थित होने के लिए कहा गया है। राज्य ने कहा कि पेन डाउन कार्यक्रम सरकारी कार्यालयों के कामकाज को बाधित करेगा और आम आदमी को उचित सेवाएं प्रदान करने में बाधा उत्पन्न करेगा। इसलिए नवान्न ने यह चेतावनी भी दी कि यदि कोई कर्मचारी उस दिन कार्यालय में अपनी ड्यूटी नहीं करता नजर आया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी उस दिन छुट्टी (आकस्मिक छुट्टी या किसी अन्य प्रकार की छुट्टी) या आधा दिन नहीं ले सकता है, लेकिन अगर कोई सरकारी कर्मचारी अस्पताल में भर्ती है या परिवार में कोई शोक है, कोई 19 मई से पहले गंभीर बीमारी के कारण छुट्टी पर है या कोई 19 मई से पहले चाइल्ड केयर लीव, मैटरनिटी लीव, मेडिकल लीव या अर्जित अवकाश पर है, तो उसे इस सख्ती के दायरे से बाहर रखा जाएगा।

यदि कोई इन कारणों के अतिरिक्त किसी अन्य कारण से कार्य से अनुपस्थित रहता है तो उसे कारण बताओ नोटिस दी जाएगी । जवाब संतोषजनक नहीं होने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में उनका उस दिन का वेतन काटा जाएगा। शिकायत का जवाब नहीं देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।