कोलकाताः बंगाल के प्रति केंद्र के कथित भेदभावपूर्ण रवैये के विरोध में सीएम ममता बनर्जी ने कोलकाता में बुधवार को दो दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू किया। ममता बनर्जी का कोलकाता के रेड रोड पर स्थित डा. बीआर आमंबेडकर की प्रतिमा के सामने मंच पर धरना शुरू हुआ है।
धरना मंच से उन्होंने राज्य को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और अन्य आवासीय एवं सड़क विभाग की योजनाओं के तहत केंद्र द्वारा निधि कथित रूप से जारी नहीं किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया। यह धरना प्रदर्शन गुरुवार शाम तक जारी रहेगा।
ममता जब मंच पहुंची तो पार्टी के लोगों को देख अपने मंत्री अरूप विश्वास से पूछा यह लोग क्यों है ? इस पर मंत्री ने कुछ कहा। इसके बाद ममता ने कहा कि एक बात यह है कि मैं बंगाल की मुख्यमंत्री हूं। इसलिए अगर बंगाल की जनता के साथ कोई अन्याय होता है तो मेरी जिम्मेदारी है उसके खिलाफ आवाज उठाने की।
वहीं, दूसरी ओर मैं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष भी हूं और यह सरकार तृणमूल की है। इसलिए आज मैं यह धरना राज्य सरकार की ओर से नहीं बल्कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से दे रही हूं। इसलिए आपको तृणमूल कांग्रेस का लोगो दिखाई देता है। इसलिए मैं डबल ड्यूटी कर रही हूं लेकिन मैं यह सब बीजेपी की तरह सरकारी धन की बर्बादी करके नहीं करती। यह एक टीम इवेंट है लेकिन हम सरकार से हैं।
सुश्री बनर्जी ने कहा, मैं यह (धरना) बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य सरकार को बदनाम करने के इस तानाशाही प्रयास के विरोध में और हमारे राज्य को उसके उचित बकाया से वंचित करने के लिए करती रहूंगी। मुख्यमंत्री के तौर पर यह तीसरी बार है जब ममता बनर्जी धरने पर बैठी हैं।
सीएम बनर्जी ने कहा, हमारे सभी मंत्री भी हैं और आप देख सकते हैं कि सामने एक संविधान है। संविधान उनके द्वारा रखा जाता है जो भारतीय लोकतंत्र का सम्मान करते हैं। भारत के संविधान का सम्मान करता है। हम आज यहां भारत की नागरिकता, भारत की धर्मनिरपेक्षता, भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए बैठे हैं।
बता दें, सीएम ममता बनर्जी ने मंगलवार को सिंगूर में 12000 किलोमीट ग्रामीण सड़कों के निर्माण संबंधी एक परियोजना का उद्घाटन करते हुए कहा था, केंद्र ने मनरेगा और इंदिरा आवास योजना (ग्रामीण) के लिए धन जारी करना बंद कर दिया है। इसके अलावा, केंद्र ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) छात्रों के लिए छात्रवृत्ति भी बंद कर दी है।
उन्होंने आरोप लगाया था कि मनरेगा के तहत काम पूरा करने वाले राज्यों की सूची में शीर्ष पर होने के बावजूद केंद्र ने इस योजना के तहत लंबित 7000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी नहीं की है। उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल को केंद्र से उसका बकाया नहीं मिला है और इस साल के बजट में भी राज्य के लिए कुछ नहीं है।