बार-बार लोकेशन बदलने के कारण कब्जे में नहीं आ रहा आदमखोर तेंदुआ

आदमखोर तेंदुआ काफी शातिर है : डीएफओ

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गढ़वा :  आदमखोर तेंदुआ के बार-बार लोकेशन बदलने के कारण वह अबतक पकड़ से दूर है। उसे पकड़ने पहुंची शूटर शफत अली और वन विभाग की टीम के सदस्य जंगल का खाक छान रहे हैं। वन संरक्षक दिलीप कुमार यादव और डीएफओ शशि कुमार उसका लगातार मॉनिटर कर रहे हैं। डीएफओ शशि कुमार ने बताया कि आदमखोर तेंदुआ काफी शातिर है।

वह इतना शातिर है कि दो दर्जन से अधिक गांवों में लगे कैमरे की जद में भी अबतक नहीं आया है। कैमरे में अलग-अलग जंगली जानवरों की तस्वीर जरूर कैद हुई है। फिलहाल उसके रमकंडा प्रखंड बैरिया गांव के आसपास 49 वर्गकिमी के दायरे में होने का अनुमान है।

मालूम हो कि तेंदुआ ने पहली बार 13 दिसंबर शाम को भंडरिया के बिचका गांव में दो बच्चियों पर हमला कर शिकार बनाने की कोशिश की थी। वह मामूली रूप से घायल हो गई थी। यह गांव प्रखंड मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर है।

बिचका गांव में तेंदुआ के हमले में दोनों बच्चियां बाल-बाल बच गई थी। उसके 24 घंटे बाद बिचका गांव से करीब 10 किमी दूर रोदो गांव पहुंचकर शाम करीब 5.30 बजे छह वर्षीय विक्रम तुरी को अपना शिकार बनाया। तेंदुआ ने उक्त बच्चे को मार डाला था। उक्त घटना के बाद तेंदुआ रोदो गांव सेसटा हुआ बिराजपुर गांव के लहंगगोरेया टोले में 17 दिसंबर को सुबह अपने आंगन में झाड़ू लगा रही महिला पर हमला किया था।

उक्त हमले में महिला बाल बाल बच गई थी। वहीं 18 दिसंबर को उक्त गांव से करीब 20 किमी की दूरी तय कर मदगड़ी क पंचायत के बघवार गांव में सुबह करीब चार बजे भैंस पर हमला कर तेंदुआ ने मार डाला था। उसके बाद 40 किमी की दूरी तय कर तेंदुआ रंका प्रखंड अंतर्गत सेवाडीह गांव पहुंच 19 दिसंबर की शाम करीब 5.30 बजे सात वर्षीय बच्ची पर हमला उसे मार डाला था। उसके तीन दिन बाद करीब 15 किमी की दूरी तय कर 22 दिसंबर को चिनिया थानांतर्गत सिदे गांव में तेंदुआ ने बछड़े पर हमला कर घायल कर दिया था।

28 दिसंबर को रमकंडा थानांतर्गत कुशवार गांव में 13 वर्षीय किशोर हरेंद्र नायक को मार डाला था। उसके बाद सेकोई घटना नहीं घटी है। वन विभाग का अनुमान है कि अब लोकेशन बदलतेहुए तेंदुआ बैरिया गांव के आसपास ही है। उससे पहले वह पांच जनवरी को पहली बार बरवा गांव के पास रात आठ बजेशूटर शफत अली को दिखा था। उसके अलावा उन्होंने 10 जनवरी को भी बैरिया गांव में ही देखा था। वह उसी के आसपास ढेबुआही टोला और तेवरदाहा छठ घाट पर भी दिख चुका है।

दक्षिणी वन प्रमंडल अंतर्गत रंका अनुमंडल के रंका, रमकंडा, भंडरिया और चिनिया थाना के विभिन्न गांवों मेंआतंक का पर्याय बना तेंदुआ नेपिछले 15 दिनों मेंकिसी तरह की घटना को अंजाम नहीं दिया है। उसके बाद भी अनमुंडल के करीब 100 सेअधिक गांवों मेंलोग दहशत मेंहैं। 28 दिसंबर की शाम रमकंडा थानांतर्गत कुशवार गांव में 13 वर्षीय किशोर हरेंद्र घांसी को अंतिम बार तेंदुआ नेमार डाला था। उसके बाद से अबतक किसी तरह की घटना नहीं घटी है।

वन विभाग अनुमान लगा रहा है कि 15 दिनों से आबादी वालेइलाकों मेंन आकर तेंदुआ जंगली जानवरों का शिकार कर रहा है। वन विभाग की अनुशंसा के बाद पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने 28 दिसंबर को ही आदमखोर घोषित करते हुए ट्रैंकुलाइज करने का आदेश दिया था।

शूटर शफत और उनकी टीम पांच जनवरी से आदमखोर तेंदुआ को खोजने और ट्रैंकुलाइज कर पकड़ने की मुहिम मेंजुट गई। उसी दिन पहली बार रात करीब आठ बजे को कुशवार से लौटने के क्रम में शूटर शफत की तेंदुआ पर नजर पड़ी। अबतक किसी कैमरे में भी उसकी तस्वीर कैद नहीं हुई है।