MDM घोटाले के आरोपी ने सरेंडर करने के डर से बनाया फर्जी कोरोना रिर्पोट

मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपी भानु कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय कुमार तिवारी पर ईडी ने दबिश बढ़ा दी है।

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रांची : झारखंड सरकार के मिड डे मील के खाते से 100 करोड़ रुपये के फर्जी हस्तांतरण से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपी भानु कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय कुमार तिवारी पर ईडी ने दबिश बढ़ा दी है। जांच एजेंसी ने संजय की गिरफ्तारी के लिए उसके रांची के अरगोड़ा स्थित घर पर शनिवार को छापेमारी की। हालांकि, संजय कुमार तिवारी ने 25 मार्च को आत्मसमर्पण करने से बचने के लिए कोविड होने के बारे में रांची की पीएमएलए अदालत में झूठ बोला, यही वह दिन था जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ऐसा करने का आदेश दिया था। इसके बाद उन्होंने इलाका छोड़ दिया। ईडी ने संजय के लापता होने की वजह से उनका गिरफ्तारी वारंट पीएमएलए कोर्ट से हासिल किया है।

 

  • 42 दिन की अंतरिम सशर्त जमानत दी गई

कुल 42 दिन की अंतरिम जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के औचित्य के तौर पर बैंक को 16.35 करोड़ रुपये लौटाए गए। इसके बावजूद आरोपी बकाया राशि का भुगतान नहीं कर सका। डील फाइनल करने और उस बैंक खाते में फंड ट्रांसफर करने की मंशा से सुप्रीम कोर्ट की राहत दी गई थी। संजय ने असम के डिब्रूगढ़ में अपनी संपत्ति (टी एस्टेट) को गिरवी रखकर या बेचकर हटिया में एसबीआई शाखा को कर्ज चुकाने का हवाला दिया था। इस संपत्ति का मालिक एक और प्रवीण है।

 

  • सुप्रीम कोर्ट ने संजय को अंतरिम जमानत दे दी थी

संजय कुमार तिवारी को पहले सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों की सशर्त अंतरिम जमानत दी थी। हालांकि, संजय बैंक को 16 दशमलव 35 करोड़ रुपए समय पर गबन करने में असमर्थ रहे। इसके बाद उन्होंने खुद को ईडी कोर्ट में पेश किया। जहां से वह जेल गया था। संजय तिवारी को बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दो दिनों के लिए अस्थायी जमानत दे दी थी। यह राहत लेनदेन को पूरा करने के लिए किया गया था। उस बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने के उद्देश्य से। हालांकि दोबारा जेल जाने से बचने के लिए संजय ने फर्जी कोविड सर्टिफिकेट बनवा लिया था।

 

  • कोविड रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा करने के कारण केस दर्ज किया गया

चूंकि संजय ने फर्जी कोविड रिपोर्ट पेश की थी, इसलिए अब उनके खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया गया है।बरियातू थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। संजय पर रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा दायर प्राथमिकी में रिम्स की ओर से झूठी रिपोर्ट दर्ज करने का आरोप है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसी ने टोप्पो की निजी जानकारी को गलती से आईसीएमआर पोर्टल पर अपलोड कर दिया और डाउनलोड की गई रिपोर्ट पर अपना फर्जी हस्ताक्षर कर दिया।