लाखों किताबों को इंतजार उन उंगलियों का, जो पन्ने पलट सकें

कोरोना के बाद आया शिक्षा पद्धति में परिवर्तन

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कोलकाता, अंकित सिन्हा

सिटी ऑफ ज्वॉय, महलों का नगर, जुलूसों का शहर तथा पूर्व का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला कोलकाता किताब नगरी भी है। दुनिया के किसी भी विषय की किताब यहां हाजिर है। शायद इसलिए क्योंकि भारत का पहला विश्वविद्यालय भी यहीं है- कलकत्ता विश्वविद्यालय।

यह एक आध्यात्म-नगरी है, शिक्षाविदों की नगरी है, बुद्धिजीवियों की भी नगरी है। कोलकाता को अमर करने में कॉलेज स्ट्रीट का बोईपाड़ा या किताबों का मुहल्ला भी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सेकेंड हेंड बुक मार्केट है। यहां दुनिया की सबसे महंगी किताबें हैं तो सबसे सस्ती भी हैं। एक हजार से ज्यादा किताबों के स्टाल हैं। दुनिया के सभी विश्वविद्यालयों की किताबें मिल जाती हैं। लेकिन आज ये बोईपाड़ा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।

स्टॉल मालिकों ने व्यक्त की व्यथा

किताब का स्टॉल चला रहे शंकर ने बताया कि मार्केट की परिस्थिति खराब है। एक तो ऑनलाइन मार्केट ने खराब कर रखा है, इसके अलावा सबसे बड़ा कारण है हमेशा राज्य के किसी ना किसी हिस्से में बुक फेयर  का होना। लोग बुक फेयर से सस्ते दामों में किताबें खरीद लेते हैं। लेकिन हम लोग भी धीरे-धीरे ऑनलाइन मार्केट की ओर बढ़ रहे हैं। एक बुक स्टॉल के मालिक ने बताया कि अब केवल विषय के हिसाब से ही लोग खरीदारी कर रहे हैं। अंग्रेजी नोबेल, कहानी और कविताओं की किताबें नहीं बिकतीं।

कॉलेज स्क्वायर हॉकर यूनियन के सेक्रेटरी के बेटे ने कहा कि ‘हमारी यूनियन के अधीन 84 दुकानें हैं। हम लगभग 40 सालों से किताब का स्टॉल चला रहे हैं। अपने अनुभव के हिसाब से बता सकता हूं कि किताब का मार्केट बेहद खराब है। उन्होंने बताया गया कि स्मार्टफोन के कारण छात्रों में पढ़ने की रूचि बेहद कम हुई है। लोगों का रूझान किताब की तरफ कम हो गया है।

क्या कहा छात्रों ने…

झीलम जो सेंट जेवियर्स की छात्रा हैं, उन्होंने कहा कि हमें अभी भी किताबें पढ़ना बेहद पसंद है। हम लोग बंगाली संस्कृति में पले हैं इसलिए हमको किताबों की महक खींच लाती है और यहां बार्गेनिंग कर पाते हैं।

 

एक और छात्र सुप्रभो दत्ता ने बताया कि यहां किताबों के बीच घूम कर किताबों को खरीदना पसंद करते हैं। यहां के लोग बहुत अच्छे हैं और अलग-अलग तरह की किताबें भी मिल जाती हैं।

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संस्कृति कॉलेज की छात्रा सुहासिनी और सिमरन ने कहा कि ऑनलाइन मार्केट इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लोगों को घर बैठे सस्ती किताबें मिल जाती हैं। लेकिन आज भी ऐसी किताबें हैं जो बस कॉलेज स्ट्रीट में ही मिलती हैं।

कोरोना के बाद आया परिवर्तन

कोविड-19 के कारण विश्व में लगभग सभी स्कूल बंद हो गए थे। एक वक्त था जब 1.2 बिलियन विद्यार्थी अपनी क्लास अटेंड नही कर पा रहे थे। शिक्षा के क्षेत्र में बहुत तेज़ी से परिवर्तन हुआ है और आज शिक्षा डिजिटल हो गई है। ऑनलाइन शिक्षा ने इनफार्मेशन को बढ़ाया है, टाइम को कम किया है।

ऑनलाइन का असर

सोशल मीडिया का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है। लोग ऑनलाइन ही सबकुछ मंगाना पसंद कर रहे हैं। चाहे वो खाने की चीज हो, किसी को तोहफा देने की हो, लिखने की हो या फिर पढ़ने की।

बहुत से ऐसे वेबसाइट हैं जो किताबों पर कई तरह के ऑफर देते हैं। जिस कारण छात्र या फिर किताब के शौकीन लोग ज्यादा उस तरफ आकर्षित होते हैं। लेकिन कॉलेज स्ट्रीट में ऑफर नहीं मिल पाते हैं- इसका भी असर पड़ा है। कुल मिलाकर लाखों किताबों की भीड़ अपनी गोद में समेटे कोलकाता का कॉलेज स्ट्रीट आज ग्राहकों के लिए टकटकी लगाए ताक रहा है।