माइनिंग कॉनक्लेव : खनन क्षेत्रों को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रही है सरकार : खनन सचिव

93

रांची : झारखंड राज्य के खान सचिव अबू बकर ने कहा कि झारखंड कोयला, लौह अयस्क, तांबा अयस्क, अभ्रक और कोबाल्ट का प्रमुख उत्पादक है. खनन में बढ़ते मशीनीकरण, कच्चे माल की उपलब्धता और प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले श्रम लागत के कारण झारखंड विश्व स्तर पर निवेशकों को आकर्षित करता रहा है। आज भी हम देश में ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन यानी खनन उद्योगों पर ही निर्भर है।

पिछले साल ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिज्ञा को बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत 2070 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को शुद्ध शून्य तक सीमित कर देगा। श्री सिद्दीक आज नवीनतम तकनीक का खनन उद्योग पर प्रभाव विषय के तहत रांची स्थित होटल रेडिशन ब्लू में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा पांचवां माइनिंग कॉनक्लेव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

इस कॉनक्लेव में झारखंड राज्य के प्रमुख खनन कंपनियों से आये कई विशेषज्ञों ने भाग लिया। श्री सिद्द्की ने कहा कि राज्य सरकार खनन क्षेत्रों को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है, जिससे कोल खनन तथा अन्य खनन अन्य क्षेत्रों पर बेहतर प्रभाव पडेगा। साथ ही झारखंड सरकार आजीविका संक्रमण सुनिश्चित करने के लिए जिलेवार विस्तृत योजना पर काम कर रही है।

वहीं, कार्यक्रम में मौजूद सेल (सीइटी) के निदेशक जगदीश अरोड़ा ने खनन उद्योंगों पर प्रकाश डालते हुए ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रे हाइड्रोजन, ब्लैक हाइड्रोजन के अंतर को समझाया तथा भविष्य में खनन उद्योग पर ग्रीन हाइड्रोजन के प्रभाव पर चर्चा की और इसके फायदे के बारे में बताया।

कार्यक्रम में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स, झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. अमृतांशु प्रसाद ने खनन उद्योगों पर तकनीकों के बढते प्रभाव के बारे में बताया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि इसकी मदद से खनन कंपनियों को अधिक आसानी से खनिजों का पता लगाने में कैसे मदद की जाती है। डॉ प्रसाद ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान माइनिंग ससटेनेबिलिटी यानी सतत विकास पर भी चर्चा की।

इस कॉनक्लेव के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए स्टील अथॉरिटी के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी केंद्र के कार्यकारी निदेशक जगदीश अरोड़ा ने खनन क्षेत्रों में तकनीक के प्रभावों पर अपनी रखी। इसमें चर्चा करते हुए इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस के क्षेत्रीय खान नियंत्रक सलील संदीप कुजूर, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के एडवाइजर टीके मुखर्जी, महाप्रबंधक श्याम सुंदर सेठी, एमएमडी के निदेशक शुभाजीत चौधरी, फेयरमाइन समूह के निदेशक राजीव कुमार सिंह तथा बीआइटी मेसरा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुकल्याण चक्रवर्ती ने संबंधित विषय पर विस्तृत चर्चा की।

 

यह भी पढ़ें – रांची में महाशिवरात्रि पर शिवालयों में उमड़ी भीड़