कोलकाता, सूत्रकार : दस-बीस-तीस नहीं, लगभग 250 सरकारी बसें विभिन्न डिपो में रखरखाव के लिए खड़ी पड़ी हैं। लिहाजा, सड़क पर सरकारी बसों की संख्या कम होती जा रही है। पूरे शहर में त्योहारों का मौसम है। शहर के लोगों के अलावा जिलों से हजारों लोग कोलकाता आ रहे हैं।
यात्री काफी देर तक बस स्टॉप पर खड़े रहते हैं। लेकिन बसें नहीं मिल रही हैं। असंतुष्ट यात्री अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। मजबूरी में उन्हें प्राइवेट बसों में चढ़ना पड़ता है। यात्रियों की शिकायत है कि सरकारी बसें दोपहर एक बजे के बाद और रात नौ बजे के बाद कम चल रही हैं।
बसों की संख्या यह मानकर कम की जा रही है कि सर्दी के दौरान यात्रियों की संख्या कम होगी। निजी बसों का किराया भी ज्यादा है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा नहीं है। दरअसल, अब किसी भी यांत्रिक खराबी वाली बस की मरम्मत कर उसे नए नीले-सफेद रंग से रंग दिया जाता है।
चूंकि, शहर में चलने वाली सभी बसों को एक ही रंग का बनाने का निर्णय लिया गया है, इसलिए चरणबद्ध तरीके से उनका नवीनीकरण किया जा रहा है। लेकिन इस बार परेशानी कहीं और है। इस बस के रखरखाव के लिए भेजे गए करीब पांच करोड़ रुपये गलती से डब्ल्यूबीटीसी के खाते के बजाय डब्ल्यूबीएसटीसी यानी भूतल परिवहन विभाग के खाते में भेज दिए गए। जिससे पश्चिम बंगाल परिवहन निगम संकट में पड़ गया।
बस मेंटेनेंस का काम शुरू हो गया है लेकिन पैसे के अभाव में पूरा नहीं हो पा रहा है और वह पैसा सीधे डब्ल्यूबीएसटीसी से डब्ल्यूबीटीसी को नहीं भेजा जा सकता है। इसके चलते इसे वापस वित्त विभाग को भेज दिया गया है। लेकिन वित्त विभाग की ओर से अभी तक परिवहन निगम को पैसा नहीं भेजा गया है, इसलिए काम शुरू नहीं हो सका।
सीएसटीसी, सीटीसी और डब्ल्यूबीएसटीसी मिलकर लगभग 750 बसें चलाती हैं। बाकी 250 बसें अभी भी खराब पड़ी हैं। निगम अधिकारियों का कहना है कि इन बसों को सड़कों पर उतारने में अभी एक माह का और समय लगेगा लेकिन गंगासागर कुछ ही दिन में शुरू होने वाला है। उसके बाद पुस्तक मेला है।
गंगासागर मेले के अवसर पर शहर में ढाई सौ से अधिक बसें लगेंगी। इसलिए उससे पहले निगम इन बसों को उतारना चाहता है। कुल मिलाकर यह कटौती गलत खाते में पैसा जाने के कारण हुई है। निगम के एक अधिकारी ने बताया कि यदि खड़ी बसों को शीघ्र नहीं उतारा गया तो गंगासागर में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं।