राज्य में एक से अधिक सीबीआई थाने खोले जाएं : जस्टिस गांगुली
अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट यूनियन में 21 हजार 163 लोगों ने कुल 50 करोड़ रुपये का निवेश किया था
कोलकाता, सूत्रकार : राज्य को इस समय एक सीबीआई थाने की जरूरत है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने उत्तर बंगाल महिला क्रेडिट यूनियन भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई के दौरान ऐसी टिप्पणी की। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गांगुली ने टिप्पणी की कि राज्य भर में भ्रष्टाचार के नए आरोप सामने आ रहे हैं। राज्य पर असहयोग के आरोप भी लग रहे हैं। पुलिस और अदालतों का दरवाजा खटखटाकर लोगों को परेशान किया जा रहा है। लेकिन उनकी शिकायतें नहीं सुनी जा रही हैं।
न्यायाधीश ने कहा कि राज्य में कम से कम तीन-चार सीबीआई पुलिस स्टेशन स्थापित करने की आवश्यकता है। जस्टिस गंगोपाध्याय ने यह भी टिप्पणी की कि अब समय आ गया है कि सभी इंस्पेक्टर-कांस्टेबलों वाला वह पुलिस स्टेशन बनाया जाए। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने उत्तर बंगाल महिला क्रेडिट यूनियन भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया। लेकिन जज ने सीबीआई पर मामले के दबाव के कारण राज्य के 10 पुलिस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति का आदेश दिया। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि राज्य को मामले के जांचकर्ताओं के उत्तर बंगाल में रहने और यात्रा की व्यवस्था करनी चाहिए। गंगोपाध्याय ने जांच के हित में वह आदेश राज्य के मुख्य सचिव को दिया।
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने मुख्य सचिव कार्यालय को निर्देश भेजा है। यह रिपोर्ट गुरुवार को मुख्य सचिव ने विधानसभा को सौंपी। उस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गंगोपाध्याय ने राज्य में सीबीआई थाने की जरूरत पर टिप्पणी की। गौरतलब है कि कोर्ट ने पहले 3 नवंबर और फिर 7 दिसंबर को 10 पुलिस अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश दिया था लेकिन पिछले सोमवार यानी 18 दिसंबर को सीबीआई ने शिकायत की, राज्य की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने मंगलवार दोपहर 3 बजे तक मामले की रिपोर्ट हलफनामे के जरिए देने का आदेश दिया। न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील को 1 घंटे के भीतर राज्य जीपी को उच्च न्यायालय के आदेश से अवगत कराने का भी निर्देश दिया।
संयोग से, शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट में शिकायत की थी कि अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट यूनियन में 21 हजार 163 लोगों ने कुल 50 करोड़ रुपये का निवेश किया था। पैसे जमा करते समय एसोसिएशन ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल बाजार में लोन के तौर पर किया जाएगा लेकिन बाद में जब पैसा वापस पाने का समय आया तो निवेशकों को पता चला कि एसोसिएशन ‘विघटित’ हो गई है। तीन साल की जांच के बाद भी सीआईडी यह पता नहीं लगा सकी कि कर्ज के रूप में पैसा किसे दिया गया था। एसोसिएशन के पांच पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।