हीरानंदानी को दिया था लॉगइन-पासवर्ड
महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी को लोकसभा आईडी का लॉगइन पासवर्ड देने के आरोपों पर कहा कि उन्होंने लॉगइन पासवर्ड दिया जरूर था, लेकिन सवालों को सब्मिट करने के लिए ओटीपी की जरूरत होती है, जो उनके फोन पर आता है। महुआ मोइत्रा ने कहा कि संसद में सवाल करने के दो तरीके होते हैं कि एक ये कि हाथ से सवाल लिखकर, साइन करके सब्मिट कर दो. साल 2019 से सवाल सब्मिट करने की ऑनलाइन भी व्यवस्था की गई है।
महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘हर सेशन से पहले हमें अपने सवाल जमा करने के लिए कहा जाता है. मैं उन्हें खुद टाइप कर सब्मिट कर सकती हैं, लेकिन मेरे पास सुदूर निर्वाचन क्षेत्र हैं इसलिए मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं होता है. इस वजह से मैंने दर्शन से उनके ऑफिस से किसी से सवाल टाइप कराने के लिए कहा था. दर्शन को लॉगइन-पासवर्ड देते वक्त मैंने कहा था कि मेरे सवालों को टाइप करके कोई सब्मिट कर देगा, जिसके लिए ओटीपी की जरूरत होती है. ओटीपी के लिए मेरा मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड है, दर्शन हीरानंद का नहीं. सवाल टाइप करने के बाद दर्शन के लोग मुझे कॉल करते थे और मैं एक बार सवाल पढ़ लेती थी. फिर मेरे फोन नंबर पर आए ओटीपी के जरिए सवाल सब्मिट किए जाते थे ।
महुआ मोइत्रा बोलीं, एनआईसी लॉगइन को लेकर कोई नियम नहीं
महुआ मोइत्रा ने कहा कि कैश फॉर क्वेरी का मामला फ्लॉप हो गया क्योंकि इसे लेकर कोई प्रूफ नहीं दे पाए तो अब निशिकांत दुबे ने राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि एनआईसी लॉगइन को लेकर कोई नियम नहीं हैं. किसके पास आपका लॉगइन पासवर्ड रहेगा इसे लेकर कोई नियम नहीं है. हर सांसद की लोकसभा आईडी का लॉगइन और पासवर्ड उनकी टीम को भी दिया जाता है. वहीं, यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि विदेशी संस्था को क्रेडेंशियल्स दिए गए. हीरानंदानी मेरे दोस्त हैं और उनके पासपोर्ट पर लिखा है कि वह भारत के नागरिक हैं.
महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘ यह भी आरोप लगाए गए कि दर्शन ने दुबई से लॉगइन किया. तो मैंने खुद स्विटजरलैंड से अपनी लोकसभा आईडी लॉगइन की थी. अगर एनआईसी का सवाल-जवाब का पोर्टल इतना ही प्रोटेक्टेड है तो इसका आईपी एड्रेस ब्लॉक क्यों नहीं किया गया है ।