पश्चिम बंगाल में राज्य सूची के तहत ओबीसी का दर्जा देने में गड़बड़ी का आरोप सरकार पर लगा है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने यह गंभीर आरोप लगाया हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल राज्य सूची में 179 ओबीसी समूहों में से 118 मुस्लिम समुदाय के हैं। उन्होंने दावा किया कि बंगाल की ओबीसी सूची में बांग्लादेशी प्रवासियों और कुछ रोहिंग्याओं को शामिल किए जाने की भी जानकारी मिली हैं। उन्होंने कहा कि एनसीबीसी मामले की जांच कर रहा है तथा राज्य से समस्या का समाधान करने को कहा है। एनसीबीसी प्रमुख ने आरोप कि इतनी सारी मुस्लिम जातियों को ओबीसी का दर्जा देने के पीछे तुष्टिकरण की राजनीति है।
इसे लेकर हंसराज अहीर ने कहा कि आयोग ने हाल ही में बैठकें की हैं। बंगाल में ओबीसी लिस्ट में जो गड़बड़ियां की गई हैं, उसे ठीक करने के लिए राज्य को भी पत्र लिखा गया है। अब इस मामले में राजनीति हो सकती है।
एनसीबीसी के अध्यक्ष ने कहा कि बंगाल में ओबीसी समुदायों को श्रेणी ए और बी में विभाजित किया गया है। श्रेणी ए में अधिक संख्या में पिछड़ी जातियां सूचीबद्ध हैं, जिनमें से 90% मुस्लिम जातियां हैं। उन्होंने दावा किया कि श्रेणी बी जिसका लाभ कम है उसमें 54% हिंदू जातियां हैं।
अहीर ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में श्रेणी ए के तहत 91.5% मुस्लिम और 8.5% हिंदू पाए गए। एनसीबीसी प्रमुख ने कहा कि 2011 तक, बंगाल में कुल ओबीसी जातियां 108 थीं, जिनमें से 53 मुस्लिम समुदाय थीं और 55 हिंदू थीं लेकिन 2011 के बाद, ओबीसी सूची में कुल जातियों की संख्या बढ़कर 179 हो गई, और नए 71 जुड़ने वालों में 65 मुस्लिम जातियां और छह हिंदू जातियां शामिल थीं।