जीवन में कभी भी सीखने में संकोच नहीं करें: राज्यपाल
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह स्थगित
रांची : राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में कभी भी सीखने में संकोच नहीं करें। दूसरे के श्रेष्ठ गुणों का अनुकरण करें। अच्छे मार्ग पर चलें। यही एक उत्तम और सफल विद्यार्थी के लक्षण हैं।
सीखने की कभी कोई उम्र या सीमा नहीं होनी चाहिये। जीवन में अधिक से अधिक ज्ञान हासिल करने की भूख सदैव बनी रहनी चाहिए। तभी आपलोग (विद्यार्थी) नई-नई ऊंचाइयों को हासिल कर पायेंगे।
बैस गुरुवार को रांची के कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह पर उपाधि ग्रहण कर रहे सभी 1139 विद्यार्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दी।
उन्होंने कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से जारी नेशनल रैंकिंग में वर्ष 2017 में जहां 53वां स्थान मिला था, वहीं वर्ष 2018 में यह विश्वविद्यालय देश के टॉप 60 कृषि विश्वविद्यालयों की सूची से भी बाहर हो गया।
हालांकि, वर्ष 2020 में इसे 58वां स्थान प्राप्त हुआ। लेकिन, क्या कारण है कि वर्ष 1981 में स्थापित यह संस्थान टॉप 20 या टॉप 30 में नहीं आ पाया है? कहीं इसका कारण शिक्षकों की कमी, पठन-पाठन में गुणवत्ता का अभाव, शोध में गुणवत्ता की कमी तो नहीं?
उन्होंने कहा कि फिर ये भी देखना होगा कि आईसीएआर ने रैंकिंग के लिए जो मापदंड तय किये हैं, जैसे कि आधारभूत संरचना, शिक्षकों, वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की स्थिति, विद्यार्थियों की संख्या, प्लेसमेंट, शोध कार्य, शिक्षकों और वैज्ञानिकों का विदेश दौरा, नेशनल और इंटरनेशनल फंड की स्थिति, किसानों के हित और सामाजिक दायित्व के तहत कार्य इत्यादि का किस हद तक अनुकरण हो रहा है? मुझे उम्मीद है विश्वविद्यालय इन सब मुद्दों पर गंभीरता से विचार और मंथन करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत में कृषि अनुसंधान अभी भी अन्य देशों की तुलना में कम है। जो भी कृषि क्षेत्र में शोध किये जाते हैं या होते हैं उसके परिणाम गरीब किसानों को उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं।
यहां तक कि अगर किसी तरह एक गरीब किसान ने इसे लागू किया, तो उसके उचित कार्यान्वयन के लिए उसको कोई मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि किसानों के बेहतर भविष्य के निर्माण में विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
आपको किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूर्णतः प्रयत्नशील रहना चाहिए। इस मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक सहित अन्य मौजूद थे।