कबूतरों का बसेरा बना,करोड़ो का नवनिर्मित भवन

करोड़ों की लागत से नवनिर्मित प्रखण्ड परिसर में बना आवासीय भवन खंडहर में होता जा रहा है तब्दील

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चतरा :  जिले में सरकारी राशि की बर्बादी चरम पर है । या यूं कहें सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण कान्हाचट्टी प्रखण्ड कार्यालय परिसर में बना नवनिर्मित भवन कबूतरों का बसेरा बन गया है । जो भी हो, करोड़ों के भवन सालों से बनकर तैयार हैं, लेकिन अधिकारी के उदासीन रवैये के कारण इन भवनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है । जिसकी वजह से सरकारी राशि का सही से उपयोग नहीं हो पा रहा है। यह विभाग की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है । यहां पर बने नवनिर्मित भवन का उद्घाटन भी कुछ वर्ष पूर्व ही किया गया है इसके बावजूद इन भवनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है । जिसकी वजह से भवन अब धीरे-धीरे कर खंडहर में तब्दील होता जा रहा हैं और हाल के दिनों में कबूतरों का बसेरा बना हुआ है । भवनों का उपयोग नहीं होने से भवन की स्थिति जर्जर होते जा रही है । उक्त भवन खंडहर बनता जा रहा है । भवन के कमरों में जंगल झाड़ उग आए हैं । छत एवं दीवारों पर भी पौधे उग गए हैं । वहां सांप-बिच्छुओं ने डेरा बना लिया है । खिड़कियों का कांच टूट गया है ।

 

आम जनता कर्मियों से मिलने के लिए घंटों करना पड़ता इंतजार :

मुख्य प्रवेश द्वार पर लगा लोहे का गेट जंग लगकर टूट गया है । प्रखंड सह अंचल मुख्यालय से काफी दूर शहरों में भाड़े अथवा निजी घरों में रहने के कारण प्रखंड के कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच पाते हैं । आम जनता कर्मियों से मिलने के लिए घंटों इंतजार करती है, तब जाकर मुलाकात हो पाती है । झारखंड बनने के बाद राज्य सरकार ने जिलास्तरीय अधिकारियों को गांवों से जुड़ाव रखने तथा प्रखंडस्तरीय अधिकारियों को मुख्यालय में रहने तथा गांवों में रात गुजारने का फरमान जारी किया था म लेकिन उसका कोई पालन नहीं करता है । जानकारी के मुताबिक कान्हाचट्टी प्रखण्ड कार्यालय परिसर में प्रखण्ड विकास पदाधिकारी तथा बीपीओ के अलावे एक भी कर्मी सरकारी आवासीय परिसर में नहीं रहते है। भवन बनने से स्थानीय लोगों में ख़ुशी देखी गई पर वर्तमान में उनके चेहरे पर एक सवालिया निशान नजर आता है। लोग कहते हैं कि भवन बन गया है तो यह अच्छी बात है। भवन का उपयोग जल्द शुरू होना चाहिए तथा बीडीओ ,बीपीओ के अलावे संबंधित कर्मियों के लिए करोड़ो रूपये की लागत से निर्माण किए गए भवन में रहना चाहिए पर सभी शाम होते ही प्रखण्ड मुख्यालय से गायब हो जाते है और सरकार और विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा ।

 

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