नीतीश कुमार का बड़ा दाव, बिहार विधानसभा में आरक्षण का दायरा 50 की जगह 65 फीसद का प्रस्ताव

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। नीतीश कुमार ने बिहार में आरक्षण को 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। EWS के 10 प्रतिशत आरक्षण को मिलाकर यह 75 प्रतिशत हो जाएगा। इससे पहले सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में जाति आधारित जनगणना पर बोलते हुए कहा कि यह काम पूरे वैज्ञानिक तरीके से किया गया है, कुछ जातियों की संख्या घटने या बढ़ने पर जो सवाल खड़ा किया जा रहा है वो बहुत बोगस बात है।

मंगलवार को नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में पेश जाति आधारित आर्थिक सर्वेक्षण पर कहा कि 1990 में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने ही सबसे पहले मुझे जाति आधारित जनगणना के बारे में सलाह दी थी। तब इसे लेकर हम पीएम वी पी सिंह से मिले थे। जब से मैं बिहार का मुख्यमंत्री हूं, तब से ही जाति आधारित गणना के लिए प्रयास कर रहा था, लेकिन सबकी सहमति से ये संभव हुआ है।

जनगणना वैज्ञानिक तरीके से हुई

नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि पूरी जनगणना बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से हुई है, कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि कुछ जातियों की संख्या घटाई या बढ़ाई गई है, यह बहुत ही बोगस बात है। उन्होंने कहा कि हम अपील करते हैं कि देश भर में जाति जनगणना करानी चाहिए। महिला साक्षरता पर बोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में महिला साक्षरता में सुधार हुआ है।

अभी ये है आरक्षण

बिहार में अभी पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। इसके अलावा एसटी-एसटी को 17 प्रतिशत, सवर्ण को 10 प्रतिशत, विकलांग को 3 प्रतिशत, स्वतंत्रता सेनानी को 1 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था थी. इसके अलावा 3 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिए भी था जो समाप्त हो चुका है। प्रस्ताव के मुताबिक अनुसूचित जाति का 16 से 20, अनुसूचित जनजाति का 1 से 2 और पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 27 से बढ़ाकर 43 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया गया है।