ब्यूरो रांची : आज कल सभी समाज में प्रेम विवाह का चलन बढ़ता जा रहा है जो परंपरा और संस्कृित को मानने वाले माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन गया है. बच्चों के इस फैसले से माता-पिता को समाज में उनकी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचता है और वे दुखी होते हैं. हालांकि भारतीय संविधान के अनुसार जो लोग शादी की संवैधानिक उम्र पार कर चुके हैं उन्हें कानूनी तौर पर अपनी इच्छानुसार किसी से भी शादी करने की इजाजत है. लेकिन गुजरात सरकार ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक नई योजना लागू करने की सोच रही है. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने खुलासा किया कि प्रेम विवाह के कारण होने वाले अनावश्यक विवाद और पीड़ा से बचने के लिए, प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की अनुमति को अनिवार्य बनाने की व्यवस्था लाने की समीक्षा की जा रही है.
यह बयान माता-पिता की अनुमति से प्रेम विवाह करने की पाटीदार समुदाय की मांग के जवाब में आया है, जिसमें कहा गया है कि यदि संवैधानिक रूप से संभव हुआ तो प्रस्ताव को लागू किया जाएगा. कई युवतियां अपने प्रियजनों से शादी करने के लिए घर से भाग रही हैं. खास बात यह है कि सीएम के प्रस्ताव को विपक्षी कांग्रेस नेताओं का भी समर्थन मिला है.
कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला ने ऐलान किया है कि अगर सरकार ऐसा कोई बिल विधानसभा में पेश करेगी तो वह उनका समर्थन करेंगे. हाल के दिनों में प्रेम विवाह के मामले में माता-पिता की राय को नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार प्रेम विवाह के लिए संवैधानिक रूप से अलग व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रही है. सीएम ने प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की सहमति को अनिवार्य बनाने के लिए एक अध्ययन कराने का वादा किया है.
इमरान ने साफ कर दिया है कि अगर विधानसभा सत्र में ऐसा कोई कानून लाया जाता है तो सरकार को मेरा समर्थन होगा. फिर भी, गुजरात सरकार जबरन धर्म परिवर्तन को दबाने के लिए पहले ही कई कदम उठा चुकी है. शादी के नाम पर धोखाधड़ी से धर्मांतरण पर रोक लगाने वाला कानून बनाया. 2021 में, गुजरात ने धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम में कई बदलाव किए, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया. लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने इस विवादास्पद कानून की कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है. गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
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