अब साधु – संतो के हाथो में होगी राजस्थान की कमान

315

राजस्थान/रांची : राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में 6 महीने से भी कम समय बचा है, ऐसे में भाजपा ने अपनी राज्य इकाई में बड़ा फेरबदल कर दिया. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने हाल ही में नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया है. कुल 29 नेताओं को संगठन में नियुक्तियां दी गईं. इनमें 11 प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए.

इस लिस्ट में सबसे पहला नाम अलवर सांसद बाबा बालकनाथ योगी का है. पहली बार सांसद बने बाबा बालकनाथ को संगठन में इतने बड़े पद पर जिम्मेदारी देना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का यह भी कहना है कि बाबा बालकनाथ योगी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नजदीकी हैं.

दोनों एक ही सम्प्रदाय के हैं. यूपी में योगी का जलवा है और अब राजस्थान में भी बालकनाथ को प्रमोट करने की तैयारियां की जा रही है.यूपी के तर्ज पर कई बार महंत बालक नाथ को राजस्थान में भाजपा का ट्रंप कार्ड भी कहा जाता है. दरअसल उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा की स्थिति वहां मजबूत हुई है.

उनकी हिंदुत्व और फायरब्रांड छवि के बदौलत ही उत्तर प्रदेश भाजपा का अजय किला बन चुका है. ऐसे में अगर राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद नए समीकरण बनते हैं तो भाजपा के लिए यूपी की तर्ज पर महंत बालक नाथ ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं.वहीं बाबा बालक नाथ, नाथ समुदाय के मस्तनाथ मठ से संबंध रखते हैं और वह इसके आठवें महंत हैं.

साल 2016 में चांदनाथ योगी ने बालक नाथ को अपना उत्तराधिकारी बनाया था. जिसके बाद रोहतक स्थित मस्तनाथ मठ में बाबा बालक नाथ के समारोह में योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव ने भी हिस्सा लिया था. नाथ संप्रदाय से संबंध रखने के चलते योगी आदित्यनाथ और बाबा बालकनाथ में करीबी संबंध भी है, दोनों हिंदुत्ववादी नेता के रूप में पहचान रखते हैं.
फायर ब्रांड छवि वाले बाबा बालक नाथ उस वक्त सुर्खियों में आए थे.

जब उन्होंने राजस्थान पुलिस के डीसीपी को ही धमका दिया था, महंत बालक नाथ के ‘प्रमोशन’ के पीछे की वजह अलवर और आसपास के जिलों में उनकी मजबूत पकड़ मानी जा रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में महंत बालकनाथ ने इस बात को साबित भी करके दिखाया था. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता भंवर जितेंद्र सिंह को 3 लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी. मस्तनाथ संप्रदाय से आने वाले बालकनाथ के ‘प्रमोशन’ से बीजेपी ने साफ कर दिया कि चुनाव में हिंदुत्ववादी एजेंडा आगे रखा जाएगा.