कोलकाता : टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के लगाए गए आरोपों के बाद से ही राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। गंभीर आरोप लगाते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखा। साथ ही, आईटी मंत्री से लोकसभा में महुआ मोइत्रा के लॉग-इन क्रेडेंशियल की जांच करने का आग्रह किया था। अब इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मोइत्रा के खिलाफ शिकायत को निचले सदन की आचार समिति के पास भेज दिया है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ एक जांच समिति गठित करने और उन्हें सदन से ‘तत्काल निलंबित’ करने की मांग की है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा था। निशिकांत का आरोप है कि संसद में सवाल पूछने के लिए महुआ पैसे लेती हैं। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच ये नई सियासी लड़ाई की शुरुआत मानी जा रही है।
इस पर मोइत्रा ने पलटवार करते हुए कहा, लोकसभा अध्यक्ष दुबे के खिलाफ लंबित आरोपों से निपट लें। उसके बाद जो भी मेरे खिलाफ कदम उठाएंगे उसका स्वागत है। बता दें, लोकसभा की आचार समिति के अध्यक्ष भाजपा सदस्य विनोद कुमार सोनकर हैं।
यह है मामला
दुबे ने रविवार को बिरला को संसद में ‘कैश फॉर क्वेरी’ विषय के तहत पत्र लिखा। इस पत्र में बताया गया कि सांसद महुआ मोइत्रा की भारतीय दंड संहिता की धारा 120-ए के तहत गंभीर विशेषाधिकार हनन, सदन की अवमानना और आपराधिक अपराध के लिए सीधी संलिप्तता शामिल है।
क्या महुआ ने अदाणी और हीरानंदानी से जुड़े सवाल किए?
दरअसल, निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा से जुड़ी शिकायत में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर एक वकील के शोध कार्य का हवाला दिया। उन्होंने कहा था कि महुआ मोइत्रा के हालिया 61 सवालों में से 50 बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी और उनकी कंपनी के व्यावसायिक हितों की रक्षा करने के लिए पूछे। उनके सवाल अक्सर एक अन्य व्यापारिक समूह- अदानी समूह पर भी केंद्रित रहे। दुबे का दावा है कि हीरानंदानी समूह अदाणी के खिलाफ व्यापारिक बोलियां लगा रहा था।
संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप
पत्र में निशिकांत ने लिखा है कि जब भी संसद सत्र होता है, महुआ मोइत्रा और वरिष्ठ तृणमूल सांसद सौगत रॉय के नेतृत्व में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की चिल्लाने वाली ब्रिगेड, किसी न किसी बहाने से हर किसी के साथ लगातार दुर्व्यवहार कर सदन की कार्यवाही को बाधित करने की आदत रखती है। हैरान करने वाली इस रणनीति के तहत महुआ अन्य सदस्यों के बहस करने के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, जबकि अन्य सांसद आम लोगों के मुद्दों और सरकार की नीतियों पर चर्चा करना चाहते हैं।