अकेले एक ने बचाई आठ की जान

हादसे की कहानी अभिजीत की जुबानी

185

कोलकाता : बालासोर का ट्रेन हादसा इस दशक का सबसे बड़ा हादसा है। कोरोमंडल दुर्घटना के कारण दक्षिण भारत से बंगाल का संपर्क व्यावहारिक रूप से टूट गया है। हादसे में पूर्वी मिदनापुर जिले में कल तक 119 लोग घायल हुए हैं और एक व्यक्ति की मौत हो गई। इतने बड़े रेल हादसे में एक शख्स अभिजीत जाना फरिश्ता बनकर आया। इस घटना में वह तो घायल हो गया लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और 8 लोगों की जान बचायी।

हल्दिया के बहादुर युवक अभिजीत जाना ने कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में घायल हुए 8 साथियों और कुछ यात्रियों की जान बचाई। हादसे के कारण उसके सिर में चोट लगी थी। तेज दर्द हो रहा था और पूरे शरीर में खून बह रहा था, लेकिन अभिजीत ने इसकी परवाह नहीं की।

अठारह साल का अभिजीत घर लौटने पर भयानक अनुभव की बात करते हुए बार-बार कांप रहा था। उसने बताया कि अचानक तेज आवाज हुई। इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, हम अपनी सीट से गिर पड़े और पता चला कि हमारा कंपार्टमेंट पलट गया था।

एक पल में सब ओर अंधेरा छा गया। डिब्बे की दीवारें तोड़कर अंदर घुसे, लेकिन डिब्बे ट्रेन के बीच में होने के कारण हम बच गए। मैंने जेब से मोबाइल फोन निकाला तो देखा कि सीट पर तापस (सहयात्री) का दाहिना पैर टूटा हुआ था।

उसने कहा कि उसने हाथों से कोच का शीशा तोड़ दिया। फिर अकेले ही बचाव कार्य शुरू किया। यात्री रो रहे थे। उसने पहले, गंभीर रुप से घायल साथियों को एक-एक करके खिड़की से बाहर निकाला। सीट के नीचे एक दोस्त का पैर टूटा हुआ बैठा था। उसे बाहर निकाला।

उसने स्थानीय बचाव दल के साथ कुछ अन्य दोस्तों और यात्रियों को बचाया। फिर स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद चारों दोस्त शनिवार की रात करीब 11 बजे घर लौटे। अभिजीत ने व्यावहारिक रूप से अपने साथी यात्रियों को मृत्यु के निकट से बचाकर ग्रामीणों के लिए नायक का दर्जा अर्जित किया है।

गौरतलब है कि हल्दिया की देउलपोता पंचायत के बासुदेवपुर गांव के राउतपाड़ा से 7 युवक चेन्नई जा रहे थे।  ये थे निताई राउत, निमाई राउत, कनाई राउत, तापस राउत उर्फ ​​राजू, महादेव और प्रणवेश राउत और अभिजीत जाना।

उनके साथ महिषादल थाना इलाके के दो अन्य युवक भी थे। ये सभी चेन्नई में विभिन्न परियोजनाओं में प्रवासी श्रमिकों के रूप में काम करते हैं। इनमें से 9 कोरोमंडल एक्सप्रेस के एस-1 कोच में थे। इनमें निताई, निमाई, कनाई और अभिजीत घर लौट आए हैं। हल्दिया के बीसी रॉय अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।