काठमांडू के पशुपतिनाथ की अनुकृति हैं मीरजापुर के पंचमुखी महादेव
550 वर्ष पूर्व नेपाली बाबा ने की थी पशुपति नाथ के विग्रह स्वरूप शिवलिंग की स्थापना
मीरजापुर/रांची : हिन्दू धर्म के आराध्य देव शिवशंकर को चमत्कार का स्वामी माना गया है। भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए श्रावण मास में दुनिया भर के भक्त विशेष अनुष्ठान और प्रार्थना करते हैं। इतना ही नहीं, भगवान के मंदिर में जाकर पूजा-पाठ भी करते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं पंचमुखी महादेव मंदिर के बारे में, जो उत्तर प्रदेश के मीरजापुर शहर में स्थित है। यह मंदिर नेपाल के काठमांडू स्थित श्रीपशुपति नाथ की अनुकृति माना जाता है। इसका बड़ा महात्म्य भी है।
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धर्म संस्कृति के साथ भक्ति-भाव के अनन्य वाहक हैं पंचमुखी महादेव
वैसे तो मीरजापुर मां विंध्यवासिनी धाम के लिए जाना जाता है। ग्रंथों में भी मां विंध्यवासिनी धाम का जिक्र आता है, लेकिन विंध्य नगरी मीरजापुर से भगवान शिव का भी गहरा नाता है। बता दें कि देश के कुछ ही स्थानों पर पंचमुखी महादेव विराजमान हैं। उनमें से एक मीरजापुर भी है। पंचमुखी महादेव मंदिर बरियाघाट स्थित गंगा तट पर है। अति प्राचीन पंचमुखी महादेव का विग्रह नेपाल के काठमांडू के विख्यात पशुपति नाथ के स्वरूप का विग्रह है। पंचमुखी महादेव धर्म संस्कृति के साथ भक्ति-भाव के अनन्य वाहक हैं। आस्था और विश्वास के प्रतीक पंचमुखी महादेव के विग्रह की स्थापना लगभग 550 वर्ष पूर्व नेपाली बाबा ने अपने हाथों से की थी।
पंचमुखी महादेव मंदिर का इतिहास
मंदिर के पुजारी विपिन बताते हैं कि लगभग 550 वर्ष पहले नेपाल के नेपाली बाबा आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के लिए आए और मां विंध्यवासिनी के श्रीचरणों में शीश झुका आशीर्वाद लिया। माता के दर्शन के बाद उनके मन में नेपाल के पशुपतिनाथ महादेव की तरह विंध्य क्षेत्र में पशुपति नाथ महादेव का विग्रह स्थापना की जिज्ञासा पैदा हुई। पुजारी बताते हैं, नेपाली बाबा पशुपतिनाथ के विग्रह के लिए सोच विचार में डूबे ही थे कि इसी बीच अचानक उनकी मुलाकात नगर के प्रसिद्ध व्यवसायी बसंतलाल से हुई। नेपाली बाबा ने बसंतलाल से अपनी इच्छा प्रकट की। बाबा के विचार सुनते ही बसंतलाल उन्हें बरियाघाट ले गए। तब खाली और गड्ढे वाला स्थान दिखाते हुए उन्हें मंदिर निर्माण कर शिवलिंग की स्थापना के लिए प्रेरित किया। नेपाली बाबा ने भी बिना देर किए मंदिर निर्माण में लग गए। कुछ समय बाद प्राचीन कला और संस्कृति से युक्त आकर्षक एवं भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया। यहां और काठमांडू दोनों ही जगह का पशुपति नाथ का शिवलिंग काष्ठ निर्मित है।
अद्भुत प्राच्यकला का नमूना है मंदिर
पंचमुखी महादेव मंदिर की दीवारों से लेकर प्राचीर पत्थरों की नक्काशी, उकेरी गई कलाकृतियां प्रस्तर कला के अद्भुत नमूना हैं, जिन्हें देखने मात्र से भक्त के मन में भक्तिभाव स्वयं पैदा हो जाता है।
चारों द्वार पर नंदी करते हैं महादेव की रखवाली
पंचमुखी महादेव के साथ गर्भगृह में श्रीगेणशजी, माता पार्वती, जगत के पालनहार भगवान विष्णु और अर्धकाली माता की मूर्ति विराजमान हैं। मंदिर के चार दरवाजे हैं। मुख्य द्वार से गर्भगृह में प्रवेश द्वार पर बड़ी नंदी महाराज तो शेष तीन दरवाजों पर छोटे नंदी विराजमान हैं।
पंचमुखी गायत्री माता भी हैं विराजमान
शिव-शक्ति व भक्ति की आभा से दैदीप्यमान पंचमुखी महादेव परिसर में पंचमुखी गायत्री माता, पंचमुखीं मंदिर के गर्भगृह से अलग लगभग 36 वर्ष पहले मानस मंदिर में श्रीराम-जानकी पवनपुत्र हनुमानजी के साथ विराजमान हैं। साथ ही मंदिर की रखवाली के लिए पंचमुखी हनुमानजी, मंदिर के बाहर भैरोजी, वीरभद्रजी मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर विराजमान हैं।
पंचमुखी महादेव की मान्यता
मान्यता को लेकर पुजारी विपिन का दावा है कि जो भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन नहीं कर पाते यदि वे पंचमुखी महादेव को जल चढ़ाते हैं या दर्शन करते हैं तो उनको एक साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग का पुण्य फल प्राप्त होता है।