कार्मिक विभाग ने एक साल पहले भूमि सुधार विभाग से मांगी रिपोर्ट,अब तक नहीं मिली

बरियातू और हेहल अंचल में सेना द्वारा कब्जा की गई 4.55 एकड़ जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त के आरोपों पर राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने एक साल बाद भी राज्य सरकार को रिपोर्ट नहीं दी है।

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रांची: बरियातू और हेहल अंचल में सेना द्वारा कब्जा की गई 4.55 एकड़ जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त के आरोपों पर राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने एक साल बाद भी राज्य सरकार को रिपोर्ट नहीं दी है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की सूचना और तत्कालीन संभागीय आयुक्त की रिपोर्ट पर कार्मिक विभाग ने एक साल पहले राजस्व नियमन एवं भूमि सुधार विभाग से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन एक साल तक दबा कर रखा गया, अब तक इसकी रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस घोटाले से सभी वाकिफ थे, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इधर, ईडी ने आईएएस अधिकारी छवि रंजन समेत भू-राजस्व विभाग के सीआई के यहां छापेमारी की है, जिसमें बड़े पैमाने पर जमीन की हेराफेरी के साक्ष्य मिले हैं। सीआई के घर से बड़ी संख्या में जमीन के कागजात मिले हैं, जिन्हें भू-माफियाओं की मिलीभगत से अवैध खरीद-फरोख्त में लगाया गया था।

 

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फर्जीवाड़े में विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत

सूत्रों के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की बात भी सामने आ रही है। जांच ठीक से हुई तो यह भी पता चलेगा कि इतने दिनों तक कार्मिक विभाग को रिपोर्ट क्यों नहीं दी गई। आपको बता दें कि सेना की जमीन की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि प्रदीप बागची नाम के व्यक्ति ने जगत बंधु टी एस्टेट प्रा. यह जमीन निदेशक दिलीप कुमार घोष को बेची गई थी। जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए रजिस्ट्री प्रदीप बागची द्वारा अटैच होल्डिंग नंबर से जुड़े दो अलग-अलग दस्तावेज जांच में फर्जी पाए गए। इसके बाद रांची नगर निगम की ओर से बरियातू थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी। प्रदीप बागची के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्रदीप बागची ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, फर्जी कब्जा पत्र दिखाकर दो जोत ली थी। कमिश्नर की जांच में सेना के कब्जे वाली जमीन के असली रैयत जयंत कर्नाड का पता चला। ईडी ने इस पूरे मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज कर रिसर्च शुरू की थी और इसी आधार पर छापेमारी की थी।